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‘धमाके’दार रैली के बाद बिहारी अटल रहे और मोदी बिहारी हो गए

गाँधी मैदान में मौत की दस्तक के बावजूद बिहारी अटल रहे और मोदी बिहारी हो गए. भोजपुरी में, मैथिली में और फिर हिंदी में,  पर बोले बिहारी नेताओं की तरह ही.

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हुंकार रैली में नरेंद्र मोदी
हुंकार रैली में नरेंद्र मोदी

गाँधी मैदान में मौत की दस्तक के बावजूद बिहारी अटल रहे और मोदी बिहारी हो गए. भोजपुरी में, मैथिली में और फिर हिंदी में, पर बोले बिहारी नेताओं की तरह ही. वोट बैंक पर नज़र और बिहार के गौरवशाली इतिहास का वर्णन. यादवों को कृष्ण की कसम और मुसलमानों को हज की दावत. पिछड़ों को अपने पिछड़ा होने का दर्द और गरीबों को अपनी गरीबी के दिनों की कहानी. दुश्मनों को मित्र कहकर वार, शहजादे को फिर ललकार. समाजवादियों को लोहिया और जेपी की दुहाई. अगर राजनीति में रैली का असर होता है तो बीजेपी ने कोई कसर नहीं छोड़ी.

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पढ़ें नरेंद्र मोदी का पटना की हुंकार रैली में दिया गया पूरा भाषण

इतवार की सुबह पटना मोदीमय था. जिस मोदी को नीतीश कुमार ने दोस्ती के वक़्त जिलाबदर कर रखा था, वह दुश्मनी के बाद ग़दर करने आ रहा था. जब नेता आते हैं तो पटाखे बजते हैं, पटना में बम फटे. मोदी के आने से पहले दो लोग मर चुके थे. गांधी मैदान के आसपास चार विस्फोट हुए. साज़िश करने वालों के इरादे नाकाम रहे, रैली में भगदड़ नहीं हुई. पांच जानें गईं पर पांच लाख से ज्यादा लोग डटे रहे. पहली बार मोदी को देखने, सुनने के जोश और भारत माता की जय के नारों में धमाकों की आवाज़ दब गई.

भाषण 2 बज कर 3 मिनट पर शुरू हुआ और जब तक ख़त्म हुआ नीतिश कुमार की घड़ी में बारह बज रहे होंगे. मोदी से पहले बोलने वाले राजनाथ सिंह और अरुण जेटली ने नीतिश कुमार के बारे में कुछ बोलने से परहेज रखा. मोदी ने बिना नाम लिए बिहार के मुख्यमंत्री को तार-तार कर दिया. जब बोले तो उन्हें मित्र ही कहा. धोखेबाज़, मौकापरस्त, पीठ पर वार करने वाला मित्र. सुनने वाले ने चटखारे लिए, मोदी ने चुटकियां ली.

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‘मेरे मित्र प्रधानमंत्री के घर दावत में मेरे साथ टेबल पर थे. मैंने देखा वह कुछ खा नहीं रहे. फिर समझ में आया और उन्हें बताया कि खा लीजिए यहां कोई कैमरे वाला नहीं है.’‘मेरे मित्र एक शादी में गुजरात आए. उनकी मैंने खूब खातिर की. मेहमान को भगवान माना. पर वह मुझसे खुले में मिलते तक नहीं.’

उन्होंने लालू यादव के बारे में भी कहानी सुनाई. एक दुर्घटना के बाद जब लालू अस्पताल में थे तो मोदी ने उनका कुशल-मंगल पूछा था. ‘मैंने मीडिया को नहीं बताया. लालूजी ने मीडिया को बुलाकर कहा कि मैंने उनकी खोज-खबर ली थी. मैंने कहा था कि यदुवंश के राजा कृष्ण तो गुजरात के द्वारका में बस गए थे.” और फिर मोदी ने यादवों से कहा कि वह उनका ख्याल रखेंगे. लालू जेल में हैं और उनके यादव वोट बैंक पर सबकी नज़र है. लालू का दूसरा वोट बैंक है मुस्लिम वोट, जिसमें नीतीश ने सेंधमारी की. पर मोदी ने मुसलमानों को भरोसा दिलाया कि जहां बाकी पार्टियां उनके बारे में बात करती हैं, वह विकास की बात करते हैं. उनको गुजरात के मुसलमानों की समृद्धि की कहानियां सुनाई.

मोदी ने पहली बार किसी रैली में मुसलमानों से सीधा संवाद किया. अपनी छवि पर नया रंग पोतने की कोशिश की है. चुनाव में अभी भी छह महीने हैं. पटना के गांधी मैदान से कई क्रांतियों की शुरुआत हुई है, जिनमें से कुछ का ज़िक्र मोदी ने स्वयं किया. वह चाहते हैं कि उनकी नई छवि का बीज भी वहीं फूटे. बिहार में बड़ी जीत मोदी के लिए आवश्यक है अगर बीजेपी को 200 प्लस सीटें चाहिए. बिहार में इतनी बड़ी और सफल रैली से वह खुश तो बहुत होंगे पर छह महीना बहुत लम्बा वक़्त होता है राजनीति में. इतवार का उत्साह चुनाव के दिन तक टिके तो.

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