scorecardresearch
 

गरीबी ने बनाया कविता को धावक

महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक गांव में गरीब परिवार में जन्मी कविता राउत के लिये एथलेटिक्स में हाथ अजमाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था.

Advertisement
X

Advertisement

महाराष्ट्र के नासिक जिले के एक गांव में गरीब परिवार में जन्मी कविता राउत के लिये एथलेटिक्स में हाथ अजमाने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था.

राष्ट्रमंडल खेलों की ट्रैक स्पर्धा में व्यक्तिगत पदक जीतकर पहली भारतीय महिला बनने वाली कविता को अपने फैसले पर कोई पछतावा नहीं है. कविता ने महिलाओं की 10 हजार मीटर दौड में शुक्रवार को कांस्य पदक जीता था.

नासिक के सबपद्दा गांव से ताल्लुक रखने वाली कविता (25) ने कहा कि उन्होंने इस लिये दौड़ को चुना क्योंकि यह नंगे पांव और बिना धन खर्च किये किया जा सकता है.

कविता ने कहा, ‘मैं बहुत गरीब परिवार से हूं. मेरा एक छोटा तथा बड़ा भाई है. मैं किसी खेल में हिस्सा लेना चाहती थी लेकिन मेरा परिवार इसका खर्च नहीं उठा सकता था. नंगे पांव दौड़ सकने के कारण मैंने इसे चुना.’

Advertisement

कविता एथलेटिक्स में पदक जीतने वाली पहली भारती महिला बन गई हैं. कविता से पहले चार गुणा 400 मीटर रिले टीम ने वर्ष 2006 में मेलबर्न राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक जीता था. मेलबर्न में ही फील्ड स्पधाओं में अंजू बॉबी जार्ज ने रजत और सीमा अंतिल ने कांस्य पदक जीता था.

वर्ष 2002 के मैनचेस्टर ओलंपिक में भारत की जसवंत सिंह ने डिस्कस थ्रो मुकाबले में रजत पदक जीता था. लेकिन अंजू, आंतिल और नीलम ने फील्ड स्पर्धा में पदक जीता था.

Advertisement
Advertisement