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बिहार: एक तो गर्मी, ऊपर से गम्भीर बिजली संकट

बिहार में अधिकतम तापमान जहां अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहा है, वहीं बिजली की समस्या जस की तस बनी हुई है. ऐसे में लोग एक तरफ परेशान हैं, तो राज्य सरकार बिजली संकट के लिए केंद्र को दोषी बताकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है.

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बिहार में अधिकतम तापमान जहां अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहा है, वहीं बिजली की समस्या जस की तस बनी हुई है. ऐसे में लोग एक तरफ परेशान हैं, तो राज्य सरकार बिजली संकट के लिए केंद्र को दोषी बताकर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ रही है.

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बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के एक अधिकारी की मानें तो पूरे राज्य में जाड़े के मौसम में 2100 से 2400 मेगावाट और गर्मी में 2500 से 3000 मेगावाट बिजली की आवश्यकता होती है, लेकिन हाल के दिनों में केंद्रीय सेक्टर के ताप एवं पनबिजली घरों से मात्र 700 से 900 मेगावाट बिजली ही मिल पा रही है.

बिजली की कमी के कारण जहां व्यवसायी परेशान हैं, वहीं किसान, छात्र और गृहणियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. औरंगाबाद जिले के अम्बा प्रखंड मुख्यालय में रहने वाले अभिमन्यु तिवारी कहते हैं कि इस इलाके में बमुश्किल तीन से चार घंटे ही बिजली की आपूर्ति होती है, बाकी समय बस उसका इंतजार होता है.

आंकड़ों के अनुसार, राज्य शुरू से ही बिजली उत्पादन के मामले में पिछड़ा रहा है. वर्ष 2009-10 में राज्य में बिजली की अधिकतम मांग 2,500 मेगावाट थी, जबकि अधिकतम आपूर्ति करीब 1,500 मेगावाट थी. वर्ष 2008-09 में बिजली की अधिकतम मांग 1,900 मेगावाट थी, जबकि आपूर्ति 1,348 मेगावाट ही हो सकी थी.

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इसी तरह वर्ष 2007-08 में बोर्ड ने 1,800  मेगावाट बिजली की आवश्यकता बताई थी, जबकि बिजली उसे 1,244 मेगावाट ही मिल सकी थी. बोर्ड के अधिकारियों का मानना है कि 2013-14 में राज्य को करीब 4,000 मेगावाट से ज्यादा की बिजली की आवश्यकता होगी. राज्य में बिजली संकट के लिए उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया.

उन्होंने कहा, 'राज्य में बिजली संकट के लिए पूरी तरह केंद्र सरकार दोषी है. केंद्र सरकार की उदासीनता के कारण ही बिजली के क्षेत्र में राज्य की यह स्थिति है. बिहार को केंद्रीय कोटे से 1,722 मेगावाट विद्युत आवंटित है, लेकिन आम तौर पर 900 मेगावाट ही बिजली दी जाती है.'

वहीं, राज्य के उर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राज्य सरकार बिजली बाजार से खरीदने की कोशिश कर रही है और इसके लिए करार भी हुआ है. राज्य में तापघर लगाने की भी पहल की जा रही है, लेकिन यह लम्बी प्रक्रिया है.

बिजली विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, पूर्वी क्षेत्र के बिजली घरों गजमारा, दर्लीपाली, फरक्का, कटवा, तालचर से बिजली खरीदने का करार किया गया है. बिहार ने सम्बंधित पक्षों से विभिन्न चरणों में पावर पर्चेज एग्रीमेंट (पीपीए) किया है. इनमें चरणबद्घ रूप से बिजली मिलने का प्रावधान है लेकिन इसमें भी अगले तीन से पांच वर्षो का समय लगेगा.

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