भारतीय रेलवे की आर्थिक हालत चुस्त-दुरुस्त करने के इरादे से रेल मंत्री सुरेश प्रभू ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है. खास बात ये है कि इस कमेटी में मैकेंजी इंडिया और बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप को भी शामिल किया गया है. इस कमेटी में नौ सदस्य रखे गए हैं. निजी कंपनियां संभालेंगी 50 रेलवे स्टेशन
इस कमेटी के चेयरमैन के तौर पर रिटायर्ड आईएएस और पूर्व सचिव डी के मित्तल को शामिल किया गया है. इसके अलावा इसके सदस्यों में इकनॉमिक अफेयर्स के सचिव या उनका प्रतिनिधि, रेलवे बोर्ड के फाइनेंशियल कमिश्नर, राइट्स के चेयरमैन और एमडी, इरकॉन के चेयरमैन और एमडी, कॉनकॉर के चेयरमैन और एमडी, आरएलडीए के एमडी, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप और मैकेंजी इंडिया को शामिल किया गया है.
इस हाइ लेवल कमेटी को 21 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट रेल मंत्री को सौंपनी है. ये कमेटी इस बात का अध्यन करेगी कि किस तरह से भारतीय रेल का राजस्व बढ़ाया जाए. कमेटी को दी गई जिम्मेदारियां...
1- रेलवे के मौजूदा रेवेन्यू ढांचे को और ज्यादा कारगर बनाया जाए.
2- रेलवे के वो कौन से क्षेत्र हैं जहां पर राजस्व को बढ़ाया जा सकता है.
3- रेलवे में वो कौन से क्षेत्र हैं जहां पर राजस्व की बर्बादी को रोका जा सकता है.
4- रेलवे के उन इलाकों और सेवाओं का पता लगाना जिनसे अतिरिक्त राजस्व उगाही हो सके.
5- रेलवे के मौजूदा रिसोर्सेज को कैसे लाभदायक बनाया जा सकता है और इसके लिए क्या करना होगा.
6- रेलवे के आधुनिकीकरण को लंबी अवधि के लिए फंडिग मुहैया कराने के क्या तौर तरीके हो सकते हैं.
7- रेलवे के मौजूदा खर्च को कैसे और किन-किन क्षेत्रों में कम किया जा सकता है.
रेलवे की सबसे बड़ी समस्या ये है कि यहां पर आधुनिकीकरण की बेहद जरूरत है लेकिन इसके लिए जरूरी पैसा नहीं है. लिहाजा इस हाई लेवल कमेटी को इस बात का भी पता लगाना है कि रेलवे के विकास में क्या चीजें बाधा बन रही हैं और इनसे कैसे पार पाया जाए. कुल मिलाकर सीधी सी बात ये है कि मोदी सरकार हर हाल में रेलवे को विकास की दौड़ में आगे देखना चाहती तो ये हाई लेवल कमेटी इसका पता लगाएगी कि इसके लिए क्या-क्या किया जाना जरूरी है.