गरीबों को मकान मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना ड्रीम प्रोजेक्ट लांच किया था, जिसे हम 'प्रधानमंत्री आवास योजना' के तौर पर जानते हैं. लेकिन तमाम सरकारी योजनाओं की तरह इस योजना में भी भ्रष्टाचार का दीमक लग चुका है. दरअसल, यूपी के गोंडा जिले में ही अबतक 2032 लोग चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें अपात्र (अयोग्य) होने के बावजूद इस योजना से पैसा मिल गया है.
जब प्रशासन को इस बात की जानकारी मिली तो सख्ती करने पर 2032 अपात्रों में से 1432 लोगों ने पैसा वापस कर दिया. इस भ्रष्टाचार के खेल में अब तक कुल 56 लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है, जिसमें प्रधान, कर्मचारी और अपात्र शामिल हैं.
गोंडा के सीडीओ अशोक कुमार के मुताबिक, अभी जांच शुरू हुई है. इसमें और अपात्र लोग मिलते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. फिलहाल 1432 अपात्रों से मिली पहली किस्त के पौने 6 करोड़ रुपये सरकार के खजाने में जमा किए जा चुके हैं.
वहीं, योजना से पैसे पाए माशूक अली ने बताया, उनके पास पहले से पक्का मकान था, लेकिन उन्हें इस योजना का लाभ मिल गया. जब जांच शुरू हुई तो उन्होंने पैसा वापस कर दिया. कुछ ऐसा ही हाल इलाके के कई लोगों का है, जिन्होंने एफआईआर के डर से पैसा वापस कर दिया है.
इसी गांव में कई ऐसे भी लोग हैं जो असल में इस योजना के पात्र हैं, लेकिन उन्हें इसका लाभ नहीं मिल पाया है. इन्हीं में से एक हैं पांडेपुर गांव में रहने वाली 82 साल की कमला देवी. उम्र के इस पड़ाव पर उनका चलना फिरना तो मुश्किल है ही. उन्हें दिखाई भी कम ही देता है. इनका आरोप है कि जब ये प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए प्रधान से मिलने गईं तो उसने कहा, अगर सरकारी पैसा चाहिए तो पहले अपनी जेब से पैसा दो.
कमला देवी की तरह ही गोंडा जिले के झंझरी ब्लॉक के पंडितपुर गांव में रहने वाली भूपादेवी और मायादेवी का हाल भी यही है. ये दोनों ही खेत में बनी झोपड़ी में अपना गुजर बसर कर रही हैं. इनके मुताबिक, इनके पास रिश्वत देने के पैसे नहीं थे. इस वजह से इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका.
यूपी के गोंडा जिले में 16 ब्लॉक हैं और इनमें करीब एक हजार छोटे-बड़े गांव हैं. ऐसे में ये सिर्फ एक बानगी भर है. फिलहाल जांच चल रही हैं, जिससे उम्मीद है कि कई ऐसे अपात्र सामने आएंगे. साथ ही उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी.