उत्तर प्रदेश में संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर का नाम बदल दिया गया है. सरकार ने अपने दस्तावेजों में जरूरी बदलाव के निर्देश दे दिए हैं. यूपी के राज्यपाल राम नाईक की पहल पर ये बदलाव हुआ है, जिन्होंने अंबेडकर के नाम में बदलाव को लेकर अभियान चलाया था. इस बदलाव पर अब खुद भीमराव अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर ने सवाल उठाए हैं.
अलग-अलग तरीके से लेते हैं नाम
प्रकाश अंबेडकर ने आजतक से कहा कि बाबा साहब का नाम हर जगह अलग-अलग तरीके से लिया जाता रहा है. महाराष्ट्र में कभी भी भीमराव नहीं कहा जाता. वहां हमेशा बाबा साहब ही कहते हैं. इसी प्रकार से राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और पंजाब में उनका नाम अलग-अलग तरीके से लिया जाता है. इसका सम्मान किया जाना चाहिए.
सिर्फ हस्ताक्षर करते समय लिखते थे ‘रामजी’
प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि सरकार ये तय नहीं कर सकती कि किसी व्यक्ति का नाम कैसे होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बाबा साहब साइन करते समय हमेशा भीमराव रामजी अंबेडकर लिखते थे. साइन वे पूरा नाम लिखकर करते थे. लेकिन दूसरी जगहों पर लिखते समय वे रामजी नहीं लिखते थे.
सरकार का फैसला लोगों पर थोपने जैसा
सरकार के फैसले पर उन्होंने कहा कि ये फैसला लोगों पर थोपने वाली बात है. ये तरीका गलत है. लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के पीछे राजनीतिक रंग भी दिखने लगा है. बीजेपी और आरएसएस काफी समय से अयोध्या में राम मंदिर बनाने का इरादा जता चुके हैं. इस बार वे मंदिर बनाने की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस बाबा साहब का नाम लेकर राम नाम का प्रचार कर सकती है.
नाम पर नहीं लगानी चाहिए कोई पाबंदी
प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि सरकार को यह अध्याधेश वापस लेना चाहिए. बाबा साहब का नाम लोग जिस तरह से ले रहे हैं, उसे वैसे ही रहने देना चाहिए.
राज्यपाल की पहल पर किया गया बदलावसरकार ये तय नहीं कर सकती कि किसका नाम कैसा होगा: प्रकाश अंबेडकर, बाबा अंबेडकर के पोते
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— आज तक (@aajtak) March 29, 2018
गौरतलब है कि यूपी के राज्यपाल राम नाईक के मुताबिक अंबेडकर के पिता का नाम रामजी था और इसे अब अंबेडकर के साथ जोड़ दिया गया है. उन्होंने तर्क दिया कि महाराष्ट्र में पिता के नाम को साथ में जोड़कर लिखने की परंपरा है.
अंबेडकर महासभा ने राज्यपाल के फैसले को सराहा
नाईक के इस अभियान में अंबेडकर महासभा भी शामिल थी, जिसने यूपी सरकार के इस फैसले की सराहना की है, लेकिन बदलाव की बयार के बीच विपक्ष विरोध की हवा तैयार कर रहा है.
वहीं गुजरात के निर्दलीय विधायक और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार को अगर वोट बैंक की बात करनी है तो उसे सबसे पहले रोहित वेमुला, उना कांड के पीड़ितों को न्याय दिलाने की बात करनी चाहिए. दलित आज भी जिस तरह से गटर में काम करने के लिए मजबूर हैं, उसे बंद कराना चाहिए. मेवाणी ने कहा कि बाबा साहेब अंबेडकर के नाम के साथ उनके पिता का नाम लिखने को लेकर कोई तकनीकी दिक्कत नहीं है, लेकिन वह इसके जरिये दलितों को हिन्दुत्व का भाव करना चाहती है.