सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात आने वाले लोकसभा चुनावों के बाद देश में तीसरे मोर्चे की सरकार देखना चाहते हैं. वे मानते हैं कि समाजवादी पार्टी बड़ी भूमिका में हो सकती है और यदि ऐसा हुआ तो मुलायम सिंह यादव प्रधानमंत्री बनाए जा सकते हैं.
आज तक के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में प्रकाश करात ने अपनी रणनीति का खुलासा किया. करात ने कहा कि वे न तो राहुल गांधी और न ही नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद तक पहुंचते देखना चाहते हैं. आम चुनावों के बाद उनका मकसद देश को गैर बीजेपी और गैर कांग्रेस सरकार बनाना होगा.
प्रकाश करात ने तीसरे मोर्चे की संभावनाओं पर कहा कि 2014 के चुनावों के बाद सरकार बनाने में क्षेत्रीय दलों की बड़ी भूमिका रहने वाली है. ऐसे में वामपंथी दल उन दलों के साथ तालमेल बैठाकर सरकार बनाने की स्थिति में आ सकते हैं. करात ने कहा कि वे एक सेकुलर सरकार बनाने के लिए बाकी पार्टियों का समर्थन ले सकते हैं.
जब प्रकाश करात से पूछा गया कि क्या वे सीपीएम का प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं तो उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री पद नहीं, हमारे लिए नीतियां जरूरी हैं. हम नीतियां बनाएंगे और जो भी नेता हमारी नीतियों के साथ न्याय कर पाने में सक्षम होगा, उसे प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है.' उन्होंने कहा कि फिलहाल उनकी नजर 2014 चुनावों में अपनी स्थिति को मजबूत करने की है.
करात ने कहा कि यूपीए और एनडीए में अब ज्यादा दम नहीं है. करात ने हालांकि यह भी माना कि उनकी पार्टी अभी इतनी मजबूत नहीं है कि देश को नेतृत्व दे सके, लेकिन यदि भविष्य में वे मजबूत हुए तो देश को नेतृत्व जरूर देंगे.
कांग्रेस के समर्थन पर बोले करात
यदि सीपीएम को देश में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस का समर्थन लेना पड़े तो वे क्या करेंगे? इस पर करात ने कहा कि यदि कोई भी पार्टी उन्हें बाहर से समर्थन देना चाहेगी तो उन्हें कोई ऐतराज नहीं होगा. लेकिन उन्होंने साफ किया कि वे कांग्रेस को दोबारा कभी समर्थन नहीं देंगे.
नरेंद्र मोदी तो कतई मंजूर नहीं
नरेंद्र मोदी के गुजरात मॉडल को देश में लागू करने की बात पर प्रकाश करात ने कहा कि उनकी नीतियां देश में काम नहीं कर सकतीं. जो मोदी ने गुजरात में किया है, वही कांग्रेस ने केंद्र में करना चाहा है. करात ने कहा कि मोदी को सामने लाने से बीजेपी की स्थिति पहले से अधिक खराब होगी. मोदी को सामने लाने से बीजेपी का साम्प्रदायिक चेहरा दिखने लगा है. करात ने कहा कि जब से देश आजाद हुआ है तब से गुजरात में सबसे ज्यादा साम्प्रदायिक हिंसा हुई है.