राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में अब हर शनिवार को 200 लोग सेना के जवानों की एक टुकड़ी द्वारा दूसरी टुकड़ी को दायित्व सौंपे जाने की भव्य परंपरा ‘चेंज ऑफ गार्ड’ देख सकेंगे.
‘चेंज ऑफ गार्ड’ के दौरान राष्ट्रपति के अंगरक्षकों (पीबीजी) की एक टुकड़ी घोड़ों पर सवार हो कर बैंड के साथ अपना दायित्व दूसरी टुकड़ी को सौंपती है. राष्ट्रपति भवन की भव्यता और गरिमा का अहसास कराने वाले उसके गुम्बद की पृष्ठभूमि में होने वाला यह आयोजन अब नए रूप में, सैन्य अभ्यास के साथ होगा.
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव वेणु राजमोनी ने बताया, ‘हमने चेंज ऑफ गार्ड समारोह को लेकर लगी हर तरह की रोक हटाने का फैसला किया है. अब हर शनिवार को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण के लॉन में करीब 200 लोग आ कर इसका आनंद ले सकेंगे. यह बदलाव राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के कहने पर किया गया है. वह चाहते हैं कि इस जगह को आम आदमी के लिए भी खोला जाना चाहिए.’
उन्होंने बताया कि जाड़े के मौसम में यह आयोजन हर शनिवार सुबह दस बजे शुरू होगा. करीब तीस मिनट के इस आयोजन में दर्शक देखेंगे कि राष्ट्रपति के अंगरक्षक किस प्रकार जयपुर स्तंभ के पीछे से निकल कर सामने आते हैं. इस दौरान सेना का बैंड ए आर रहमान की धुन ‘मां तुझे सलाम’ बजाएगा.
इसके बाद बैंड ‘सारे जहां से अच्छा’ जैसे देशभक्तिपूर्ण कुछ गीतों की धुनें बजाएगा, सेना की धुन बजाई जाएगी और फिर जवान ‘भारत माता की जय’ का उद्घोष करेंगे.
नए गार्ड पुराने गार्ड की जगह लेंगे दर्शकों के मन में यह पल हमेशा के लिए अंकित हो जाएंगे. यह परंपरा राष्ट्रपति संपदा में वर्ष 2007 से जारी है. सेना का बैंड राष्ट्रगान की धुन बजाएगा और इसी के साथ ‘चेंज ऑफ गार्ड’ समारोह संपन्न हो जाएगा. नए बदलाव के तहत सेना की 28 वीं मद्रास बटालियन के चुनिंदा जवान बैंड की धुन के साथ ही सैन्य अभ्यास पेश करेंगे.
सजे धजे घोड़ों पर सवार वर्दीधारी जवान, घोड़ों की नाल से और जवानों के नेपोलियन बूटों से निकलती तालबद्ध ध्वनि समारोह में चार चांद लगा देते हैं. ‘चेंज ऑफ गार्ड’ सेना की एक परंपरा है जिसके तहत पुराने संतरी अपना दायित्व नए संतरियों की टुकड़ी को सौंपते हैं.
जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर अपना काम पूरा करने के बाद यहां आई 28वीं मद्रास बटालियन तीन साल के लिए राष्ट्रपति भवन में है. वर्तमान में राष्ट्रपति के अंगरक्षक इसी बटालियन से हैं. जब भी राष्ट्रपति बाहर जाते हैं, यह अंगरक्षक उनके साथ होते हैं.