आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत भूषण कश्मीर मुद्दे पर दिए अपने विवादास्पद बयान को लेकर घिर गए हैं. आजतक के कार्यक्रम सीधी बात में प्रशांत भूषण ने कहा कि कश्मीर के लोग सेना की तैनाती चाहते हैं या नहीं, इस सवाल जनमत संग्रह होना चाहिए.
प्रशांत भूषण ने जम्मू कश्मीर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) हटाये जाने की वकालत करते हुए कहा कि यह मानवाधिकारों के मामले में सेना को छूट प्रदान करता है, साथ ही लोगों में अलगाव की भावना पैदा करता है.
भूषण ने आज तक को दिए इंटरव्यू में कहा, ‘ यह अत्यंत जरूरी है कि हम लोगों के दिलों और मन को जीतें और अलगाव की भावना को उभरने से रोकें. इसके लिए जो पहली चीज किये जाने की जरूरत है, वह आफस्पा को हटाने की है जो सेना को मानवाधिकार के उल्लंघन के मामलों में छूट प्रदान करता है.’ उन्होंने कहा कि आंतरिक सुरक्षा के मामलों में सेना की तैनाती लोगों की मंजूरी के बाद ही प्रभावी होनी चाहिए सिवाए ऐसे स्थानों पर जहां अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा जरूरी हो.
भूषण हालांकि अपने पूर्व के उस रूप से दूरी बनाते दिखे जिसमें उन्होंने कथित तौर पर राज्य के लोगों के चाहने पर कश्मीर को अलग किये जाने का पक्ष लिया था.
प्रशांत भूषण के इस बयान से सियासत भी गरमा गई है. राजनीतिक दलों ने उनके इस बयान पर आपत्ति जताई है. बीजेपी ने इसे वोट बैंक की सियासत करार दिया है.