प्रताप चंद्र सारंगी. इस नाम की चर्चा गुरुवार शाम से ही पूरे देश में हो रही है. 'ओडिशा के मोदी' के नाम से मशहूर बालासोर से इन सांसद की कई ऐसी बातें हैं जो देशवासियों को समझ आ रही हैं. प्रताप चंद्र सारंगी से जुड़ा एक किस्सा है. 2009 में जब वह ओडिशा में विधानसभा चुनाव लड़ रहे थे तो बीजेपी ने उन्हें टिकट दिया था.
लेकिन वह टिकट ही खो गया. बावजूद इसके उन्होंने पार्टी से दूसरा टिकट नहीं मांगा और निर्दलीय ही पर्चा भर दिया. टिकट खोने का कारण भी अलग है. जब वह पब्लिक ट्रांसपोर्ट की बस में सफर कर रहे थे तो जेब से टिकट गिर गया, जो बाद में मिला ही नहीं.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बीजेपी के उपाध्यक्ष समीर मोहांती ने बताया कि प्रताप सारंगी ने अपने बैग में टिकट रखा हुआ था, लेकिन वह गिर गया. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय पर्चा भर दिया और चुनाव भी जीत गए.
बालासोर से लोकसभा सांसद चुने जाने से पहले वह 2004, 2009 में निलागिरी विधानसभा सीट से बतौर विधायक जीत दर्ज कर चुके हैं. 2004 में बीजेपी के टिकट से, तो 2009 में निर्दलीय के तौर पर.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें अपने कैबिनेट में जगह दी है और राज्य मंत्री बनाया है. गुरुवार को जब वह शपथ लेने आए तो राष्ट्रपति भवन का प्रांगण तालियों से गूंज उठा. सोशल मीडिया पर भी उनकी काफी चर्चा हो रही है. प्रताप सारंगी, हिंदी-ओड़िया-संस्कृत भाषा में निपुण हैं.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े हुए हैं. अपने क्षेत्र में वह साइकिल से ही सफर करते हैं. इस चुनाव में भी वह एक ऑटो रिक्शा पर अपना प्रचार करते हुए देखे गए थे. उनकी इसी सादगी की वजह से लोग उन्हें ''ओडिशा का मोदी'' भी कहते हैं.