कानून वैधता खो चुके 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों से जुड़े अध्यादेश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दे दी है. बड़े मूल्य के प्रतिबंधित नोटों के जरिए समानांतर अर्थव्यवस्था चलाने के गोरखधंधे पर रोक लगाने के लिए 1000 और 500 रुपए के पुराने नोटों के लेनदेन करने और अपने पास एक निश्चित सीमा से ज्यादा संख्या में रखने को अब गैरकानूनी और दंडनीय अपराध माना जाएगा.
निर्दिष्ट बैंक नोट (देनदारियों की समाप्ति) अध्यादेश, 2016 के तहत चलन से बाहर किए गए बड़े मूल्य के नोटों को रखना और उनका लेनदेन करना कानूनी अपराध है जिसमें न्यूनतम 10,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने आज बताया कि पुराने प्रतिबंधित नोटों को कारोबार के लिए इस्तेमाल से रोकने के लिए यह अध्यादेश जरूरी था. उन्होंने कहा कि हम नहीं चाहते कि प्रतिबंधित नोटों के जरिए कोई समानांतर अर्थव्यवस्था चले. सरकार ने विदेश से आने वाले प्रवासी भारतीयों को चलन से बाहर किए गए नोटों को बदलवाने के लिए 30 जून तक मौका दिया है. इन नोटों को रिजर्व बैंक के विनिर्दिष्ट (Specified) कार्यालयों पर बदला जा सकेगा. इसके लिए प्रवासी भारतीयों को अपने साथ लाए गए पुराने प्रतिबंधित नोटों के बारे में हवाईअड्डों पर सीमा शुल्क विभाग को संख्या सहित पूरा ब्यौरा देना होगा.
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि ऐसे प्रवासी भारतीयों को रिजर्व बैंक की विनिर्दिष्ट शाखाओं में बंद किए गए नोट जमा कराते समय सीमा शुल्क विभाग में दाखिल ब्यौरा भी प्रस्तुत करना होगा, झूठा ब्यौरा देने पर न्यूनतम 50,000 रुपए या नोटों के कुल मूल्य में से जो भी अधिक होगा, उतना जुर्माना देना होगा.
सरकार ने आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के समय जनता को प्रतिबंधित नोट बैंकों में जमा करवाने के लिए 50 दिन का समय दिया था. यह अवधि पूरी हो चुकी है. कुछ शर्तों के साथ इन नोटों को रिजर्व बैंक के काउंटरों पर 31 मार्च तक अभी भी बदलवाया जा सकता है, लेकिन प्रवासी भारतीयों को 30 जून तक का मौका दिया गया है.
इस अध्यादेश के तहत जुर्माने का प्रावधान 31 मार्च 2016 के बाद प्रभावी होगा. उसी दिन देश में रहने वालों के लिए नोट बदलने की अवधि पूर्णतया समाप्त हो जाएगी. बयान में कहा गया है कि इस अध्यादेश के जरिये भारतीय रिजर्व बैंक कानून-1934 में संशोधन किया गया है. इस संशोधन से चलन से बाहर किये गये बैंक नोटों को समाप्त करने की घोषणा को विधायी समर्थन मिल गया है.
इस अध्यादेश से केन्द्रीय बैंक विनिर्दिष्ट तिथि के बाद प्रतिबंधित नोटों के मूल्य को चुकाने के दायित्व से मुक्त हो जाएगा.
भविष्य में इन नोटों को लेकर किसी तरह का कोई विवाद खड़ा ना हो इसलिए मात्र नोटबंदी की अधिसूचना जारी करने को काफी नहीं माना गया और यह अध्यादेश लाया गया.
बंद किए गए 500, 1,000 रुपए के पुराने बंद नोट 31 मार्च के बाद भी एक निश्चित सीमा से अधिक रखने को कानून के तहत जुर्म माना जाएगा जिस पर 10,000 रुपए या रखी गई राशि के पांच गुणा का जुर्माना इनमें जो भी अधिक होगा लगाया जायेगा.
अध्ययन एवं अनुसंधान करने वाले शोधार्थी ज्यादा से ज्यादा 25 की संख्या में यह नोट अपने पास रख सकते हैं.
वर्ष 1978 में जब मोरारजी देसाई सरकार थी तब भी 1,000 रपये, 5,000 रपये और 10,000 रुपए के नोट अमान्य करने के बाद सरकार और रिजर्व बैंक की ओर से अमान्य नोटों के दायित्व को खत्म करने के लिये इसी तरह का अध्यादेश लाया गया था.