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इन 5 वजहों से सब्जबाग साबित हो रहा विपक्ष को एकजुट करने का सोनिया का सपना

सत्ता के गलियारों में चर्चा आम है कि इस मोर्चे पर विपक्षी एकता कायम करने की कवायद को खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लीड कर रही हैं. लेकिन अभी उन्होंने इस तरफ पहला कदम बढ़ाया ही था कि इस ख्वाब को हकीकत के एक नहीं बल्कि पांच-पांच झटके लग गए.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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एक के बाद एक राज्यों में मुंह की खाने के बाद अब विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव में सरकार से लोहा लेने का मन बनाया है. सत्ता के गलियारों में चर्चा आम है कि इस मोर्चे पर विपक्षी एकता कायम करने की कवायद को खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लीड कर रही हैं. लेकिन अभी उन्होंने इस तरफ पहला कदम बढ़ाया ही था कि इस ख्वाब को हकीकत के एक नहीं बल्कि पांच-पांच झटके लग गए.

राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेसी मुहिम के सामने ये 5 रोड़े:

1. हाल ही में कांग्रेस ने ऐलान किया कि सोनिया ने इस सिलसिले में मुलायम से फोन पर बात की है. पार्टी की ओर से कहा गया कि दोनों के बीच सकारात्मक बात हुई. लेकिन बाद में मुलायम ने ये कहकर सोनिया की उम्मीदों पर पानी फेर दिया कि कांग्रेस ने उनकी पार्टी को बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

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2. इसी तरह कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर बताया कि सोनिया गांधी ने इस मसले पर आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद से भी फोन पर बात की है. कांग्रेसी रणनीतिकारों को भरोसा था कि बीजेपी विरोध की मुहिम में लालू अहम सिपहसालार होंगे. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले से लालू को ऐसा झटका लगा है कि अब कांग्रेस को उनसे कम ही उम्मीदें होंगी.

3. कांग्रेस को लगता था कि सेक्युलरिज्म के नाम पर वो तेलंगाना में टीआरएस का समर्थन हासिल कर लेगी. लेकिन तेलंगाना के प्रभारी दिग्विजय सिंह का मुस्लिम युवाओं के मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरना टीआरएस को नागवार गुजरा है और वो मोदी सरकार की तरफ झुकने का संकेत दे रही है.

4. कांग्रेस को उम्मीद थी कि कम से कम राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव में वो तमिलनाडु की डीएमके और एआईएडीएमके को साथ लाने में कामयाब रहेगी. लेकिन डीएमके का साथ मिलने के बाद सत्ताधारी एआईएडीएमके उसका साथ देगी, इसकी उम्मीद बेहद कम है.

5. कांग्रेसी रणनीति के मुताबिक आखिरी वक्त में ओडिशा की बीजेडी और आम आदमी पार्टी को भी विपक्षी खेमे का हिस्सा बनाए जाने की कोशिश होनी थी. लेकिन ओडिशा में बीजेपी के बढ़ते कदमों से परेशान नवीन पटनायक को लगता है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच का झगड़ा ही राज्य में उनके लिए ज्यादा फायदेमंद है. इसलिए आसार हैं कि इन चुनावों में बीजेडी तटस्थ रह सकती है. दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी खुद ही अंदरूनी झगड़े में इस कदर उलझी है कि उससे ज्यादा उम्मीद करना वाजिब नहीं.

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अब भी बाकी है उम्मीद..
हालांकि कांग्रेसी नेताओं ने अब भी पूरी तरह हौंसला नहीं छोड़ा है. पार्टी नेता संजय सिंह का कहना है कि समाजवादी पार्टी में अब अखिलेश यादव की चलती है और उनसे राहुल गांधी की बात हो चुकी है. कांग्रेसी नेता सफाई देते नहीं थकते कि विपक्षी एकता कायम करना कभी भी आसान काम नहीं रहा है. खासकर तब जब सीबीआई केंद्र की एनडीए सरकार के पास सीबीआई और तमाम जांच एजेंसियों की ताकत है. कांग्रेसी खेमे में इस बात को लेकर उत्साह है कि अखिलेश राहुल को मना चुके हैं और सोनिया गांधी जल्द ही मायावती से मिलने वाली हैं. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की धुर-विरोधी सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी खुद सोनिया और राहुल से मिल चुके हैं और ममता भी जल्द ही कांग्रेसी हाईकमान से मुलाकात करने वाली हैं.


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