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राष्ट्रपति का शोक संदेश, कहा- अहंकार छोड़ना अटल से सीखा

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने शोक संदेश में कहा, 'वाजपेयी में अहंकार की भावना दूर-दूर तक नहीं थी और मैं हमेशा सोचता था कि अहंकार मुक्त सार्वजनिक जीवन बहुत अच्छा होता है. ये मैंने उन्हीं से सीखा और मैं अपने जीवन में भी इस विनम्रता को आत्मसात करने का प्रयास करता रहता हूं.'

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

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अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गहरा दुख जताया है. उन्होंने वाजपेयी को भारत का महान सपूत बताते हुए कहा, 'पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी में अहंकार बिल्कुल भी नहीं था और मैं उन्हीं से प्रेरित होकर विनम्रता को आत्मसात करने का प्रयास करता रहता हूं.'

वहीं, शुक्रवार को अटल बिहारी वाजपेयी का दिल्ली स्थित स्मृति स्थल में अंतिम संस्कार कर दिया गया. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह समेत कई दिग्गज मौजूद रहे.

उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, 'अटल बिहारी वाजपेयी के निधन से सिर्फ मैं ही नहीं, बल्कि पूरा देश दुखी है. वो भारत के एक महान सुपूत थे. उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया. उन्होंने सार्वजनिक जीवन में जो मापदंड रखे, वो सार्वजनिक जीवन में हर कार्यकर्ता के लिए अनुकरणीय है. फिर चाहे वो मर्यादा या समावेशी संस्कृति का हो या फिर भाईचारे का हो या देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने का हो.'

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राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'वाजपेयी को मैं अपनी और पूरे राष्ट्र की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं. उनका व्यक्तित्व महान था. उनको मैं मानव नहीं, बल्कि महामानव मानता हूं. वर्षों तक मुझे उनका सानिध्य प्राप्त होता रहा. इस संबंध में एक मुझे प्रेरक प्रसंग याद आता है, जब वो देश के प्रधानमंत्री थे, उसी समय मैं राज्यसभा का सांसद था. संसद के गलियारों में हमेशा मेरा और उनका आमना-सामना हो जाता था. मैंने देखा कि ऐसे अवसरों पर वाजपेयी दूर से ही नमस्कार किया करते थे.'

कोविंद ने कहा, 'वाजपेयी के इस व्यवहार को देखकर मुझे कभी-कभी आत्मग्लानि भी होती थी कि कहां मैं एक छोटा सा सांसद और कहां वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री.' उन्होंने कहा, 'वाजपेयी में अहंकार की भावना दूर-दूर तक नहीं थी और मैं हमेशा सोचता था कि अहंकार मुक्त सार्वजनिक जीवन बहुत अच्छा होता है. ये मैंने उन्हीं से सीखा और मैं अपने जीवन में भी इस विनम्रता को आत्मसात करने का प्रयास करता रहता हूं.'

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