मोदी सरकार की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गुटनिरपेक्षता की नीति को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गहरा झटका दिया है. खबरों के मुताबिक, राष्ट्रपति ने इजरायल जाने से साफ इनकार कर दिया है. यही नहीं, उन्होंने केंद्र सरकार के सामने शर्त रखी है कि वह इजरायल तभी जाएंगे, जब उनके फिलस्तीन जाने का कार्यक्रम भी तय होगा.
सूत्रों के मुताबिक, मोदी सरकार ने राष्ट्रपति से इस साल छह देशों की यात्रा करने का प्रस्ताव भेजा है. इनमें स्वीडन, बेलारूस, इजरायल और नाइजीरिया समेत अफ्रीका के तीन देश हैं. बताया जाता है कि इनमें अकेले इजरायल जाने से प्रणब मुखर्जी ने मना कर दिया है.
दरअसल, कांग्रेस में इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक की तीन पीढ़ियों के साथ बतौर राजनीतिज्ञ काम कर चुके राष्ट्रपति नेहरू-गांधी के वैचारिक दर्शन से अलग हटने को तैयार नहीं हैं. अरब देशों और फिलस्तीन के साथ कांग्रेस शासित राज्यों ने संबंध बेहतर रखे थे. असल में यह स्थानीय स्तर पर अल्पसंख्यक सियासत में भी संतुलन बनाने का दबाव था. फिर फिलस्तीन के पूर्व राष्ट्रपति यासर अराफात और भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय में दोनों देशों के रिश्ते बेहद अच्छे रहे हैं.
हालांकि, 1992 में इजरायल के साथ कूटनीतिक रिश्ते कांग्रेस की नरसिंह राव सरकार ने ही शुरू किए थे. लेकिन वाजपेयी सरकार के दौरान ही इजरायल से रिश्ते नई ऊंचाई तक गए. इससे पहले इजरायल और फिलस्तीन के साथ रिश्तों में संतुलन बना रहा है. केंद्र में एनडीए की सरकार दूसरी बार आने के बाद अब वैश्विक स्तर पर भारत ज्यादा बड़ी भूमिका निभाने को तैयार दिख रहा है.
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद विदेश नीति में एक नया आयाम खोलने के प्रयास किए हैं. बीजेपी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इजरायल के बजाय फिलस्तीन को ज्यादा तवज्जो दिए जाने के खिलाफ रहा है. यहां तक कि 1970 में संघ और बीजेपी ने फिलस्तीन के एक प्रतिनिधिमंडल के आने पर धरना तक दिया था. अब रक्षा क्षेत्र में इजरायल की विशेषज्ञता का फायदा उठाने के लिए मोदी सरकार आगे बढ़ रही है.
इस कड़ी में जहां न्यूयॉर्क में मोदी ने इजरायल के राष्ट्र प्रमुख से बात की, वहीं भारतीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी इजरायल के दौरे पर गए. इसके बाद इजरायल के रक्षा मंत्री मोसे या-लोइन पहली बार भारत आए. उन्होंने भारत के साथ संबंधों के नए पड़ाव की बात भी मानी. उन्होंने दिल्ली में कहा भी था, 'हम लोगों का रिश्ता है, लेकिन वह पर्दे के पीछे था. आज मैं आप लोगों के बीच खड़ा हूं.' भारत और इजरायल के बीच करीब एक लाख करोड़ के रक्षा सौदे पाइपलाइन में हैं.