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महिला सुरक्षा अध्यादेश पर राष्ट्रपति ने किए दस्तखत

महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा से संबंधित अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के दो दिन बाद रविवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे मंजूरी दे दी.

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प्रणब मुखर्जी
प्रणब मुखर्जी

महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा से संबंधित अध्यादेश को केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिलने के दो दिन बाद रविवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसे मंजूरी दे दी. इस अध्यादेश में बलात्कार के बाद अगर पीड़ित महिला की मौत हो जाती है तो दोषी व्यक्ति को मौत की सजा दी जा सकती है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया कि राष्ट्रपति ने आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2013 को मंजूरी दे दी है.

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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा था ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अंकुश लगाने के लिए आपराधिक कानूनों में तेजी से संशोधन किए जा सकें. यह अध्यादेश संसद के बजट सत्र के शुरू होने के तीन सप्ताह से भी कम समय पहले लाया गया है.

न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति की सिफारिशों के आधार लाए गए इस अध्यादेश में ‘बलात्कार’ शब्द की बजाय ‘यौन उत्पीड़न’ शब्द का प्रयोग किया गया है ताकि महिलाओं के खिलाफ सभी तरह के यौन अपराधों की परिभाषा को विस्तार दिया जा सके.

इस अध्यादेश को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया आई है. विपक्षी भाजपा ने जहां इसका स्वागत किया है वहीं माकपा तथा कई अन्य महिला समूहों ने यह कहते हुए विरोध किया है कि सरकार ने वर्मा समिति की सिफारिशों के साथ अन्याय किया है.

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यह अध्यादेश दिसंबर में दिल्ली में 23 वर्षीय लड़की से सामूहिक बलात्कार और बर्बर हमले की पृष्ठभूमि में लाया जा रहा है. अध्यादेश में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) दंड संहिता प्रक्रिया (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम में संशोधन का प्रावधान है. इसमें महिलाओं का पीछा करने, ताक-झांक, तेजाब फेंककर हमला करने, अभद्र भाव भंगिमा यथा शब्दों और अनुचित तरीके से स्पर्श करने को लेकर सजा बढ़ाने का प्रावधान है. साथ ही ‘वैवाहिक बलात्कार’ को भी इसके दायरे में लाया गया है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वर्मा समिति की सिफारिशों से आगे जाकर बलात्कार के वैसे मामलों में मौत की सजा का प्रावधान किया है जिसमें पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह स्थायी रूप से कोमा में चली जाती है.

सूत्रों ने बताया कि इस तरह के मामलों में न्यूनतम 20 साल के कारावास की सजा का प्रावधान होगा जिसे दोषी के आजीवन कारावास या मृत्यु तक बढ़ाया जा सकता है. इस संबंध में विशेषाधिकार अदालत के पास होगा.

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