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कोविंद और मुखर्जी के भाषण: अब सुरक्षा सबसे ज्वलंत मुद्दा है

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा, 'नया भारत संवेदनशील भी होगा और आर्थिक रूप से समृद्ध भी. लेकिन इसके लिए देश का सुरक्षित होना बहुत ज़रूरी है. मेरी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है. यही कारण है कि आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं.'

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पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद

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पुलवामा हो या अनंतनाग, 2019 में सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर सबसे ज्यादा चर्चा होती रही है. 17वीं लोकसभा के गठन के बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के भाषण से भी स्पष्ट हो गया है कि नरेंद्र मोदी की 2.0 सरकार अगले पांच साल सुरक्षा के मुद्दों को सबसे ऊपर रखने जा रही है.

गुरुवार को संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, 'नया भारत संवेदनशील भी होगा और आर्थिक रूप से समृद्ध भी. लेकिन इसके लिए देश का सुरक्षित होना बहुत ज़रूरी है. मेरी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है. यही कारण है कि आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं.'

2014 में जब एनडीए सत्ता में आई थी तब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति थे. उनके भी भाषण में सुरक्षा पर जोर दिया गया था. हालांकि, उनके भाषण में 'सुरक्षा' शब्द को बार-बार दोहराया नहीं गया था, बस सात बार जिक्र आया था. दरअसल, सरकार बनने के बाद राष्ट्रपति के अभिभाषण से यह संकेत मिलता है कि सरकार किन मुद्दों पर विशेष फोकस करने जा रही है.

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इंडिया टुडे डाटा इंटेलीजेंस यूनिट ने 2014 में तब के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और 2019 में राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के भाषणों का विष्लेषण किया कि देश का मास्टर प्लान कैसे विकसित हो रहा है.   

विकास का मुद्दा टॉप पर

राष्ट्रपति कोविंद और पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी दोनों के ही भाषणों में 'विकास' शब्द सबसे ज्यादा छाया रहा. मुखर्जी ने अपने भाषण में 'विकास' का 22 बार इस्तेमाल किया था वहीं कोविंद ने 23 बार इस्तेमाल किया. विकास शब्द के दोहराव को छोड़ दें तो सरकार बनने के बाद दोनों राष्ट्रपतियों के भाषण में अंतर देखने को मिला.

साल 2014 में मुखर्जी के भाषण में 'विकास' के बाद इन्फ्रास्ट्रक्चर (13), टेक्नोलॉजी (11), वर्क (10), इनवेस्टमेंट (10) और पॉलिसी (10) जैसे शब्दों की अधिकता रही थी. इन सभी शब्दों को कोविंद के भाषण में भी जगह मिली है, हालांकि, इस बार इन शब्दों को पहले से कम महत्व दिया गया है.

राष्ट्रपति कोविंद के भाषण में जिन शब्दों को सबसे ज्यादा अहमियत मिली, उनमें प्रमुख हैं: सुरक्षा (17), किसान (15), महिलाएं (14), गरीब (14), इन्फ्रास्ट्रक्चर (12), संस्थाएं (10), स्वतंत्रता (10), वर्क (10) और अर्थव्यवस्था (10).

दिलचस्प बात यह है कि राष्ट्रपति कोविंद के भाषण में जो शब्द सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए गए हैं, इस समय देश में इनसे जुड़े मुद्दे ही ज्वलंत मुद्दे हैं. यानी राष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में यह आश्वासन दिया है कि सरकार इन मुद्दों पर गौर करेगी.

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राष्ट्रपति के भाषण में आंतरिक और वाह्य सुरक्षा समेत विभिन्न संदर्भों में सुरक्षा शब्द का जिक्र कुल मिलाकर 17 बार आया है. सुरक्षा का यह जिक्र सिर्फ सुरक्षा बलों के संदर्भ में नहीं आया है, बल्कि राष्ट्रपति कोविंद ने छोटे व्यवसायियों के लिए आर्थिक सुरक्षा और महिला सुरक्षा के संदर्भ में भी 'सुरक्षा' शब्द का इस्तेमाल किया है.

'सुरक्षा' के बाद दूसरा शब्द है 'किसान', जिसका राष्ट्रपति के भाषण में सबसे ज्यादा बार जिक्र आया है. कृषि क्षेत्र संकट में है और हालिया वर्षों में पूरे देश में जगह-जगह किसानों के प्रदर्शन देखने को मिले हैं. राष्ट्रपति के भाषण में जो विज़न पेश किया गया है, उसमें किसानों की आय दोगुनी करने के अलावा किसानों की आर्थिक सुरक्षा, किसान उत्पादक क्षेत्र का निर्माण, बागवानी और मछलीपालन को प्रोत्साहन देने का भी जिक्र है.

राष्ट्रपति के भाषण में किसानों के बाद 'महिलाओं' का जिक्र भी प्राथमिकता में है. महिला सुरक्षा, यौन अपराधों के खिलाफ सख्त कानून और तीन तलाक खत्म करने का जिक्र भी आया है.

पीएम मोदी के प्रिय शब्द 'गरीब' को भी कोविंद के भाषण में खास जगह मिली है. उज्ज्वला, आयुष्मान भारत और गरीबों को लाभ पहुंचाने वाली योजनाओं के संदर्भ में इस शब्द का बार बार जिक्र आया है. राष्ट्रपति कोविंद के भाषण में 'गरीब' शब्द का 14 बार जिक्र आया है, जबकि 2014 में मुखर्जी के भाषण में इस शब्द का मात्र दो बार जिक्र आया था.

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कोविंद के भाषण में नए शब्द बहुत से ऐसे शब्द हैं जिन्हें 2014 में मुखर्जी के भाषण में जगह नहीं मिली थी, लेकिन कोविंद के भाषण में जगह मिली है. महत्वपूर्ण यह रहा कि मुखर्जी के भाषण में 'संविधान' शब्द का जिक्र एक भी बार नहीं आया था, लेकिन कोविंद के भाषण में 'संविधान' शब्द छह बार दोहराया गया.

इसी तरह से कुछ और शब्द जैसे 'इंटरप्रिन्योर' और 'स्टार्टअप' हैं जो एनडीए सरकार के दौरान ज्यादा चर्चा में आए और कोविंद के भाषण में इन्हें जगह मिली है, जबकि मुखर्जी के भाषण में ये मौजूद नहीं थे. 'ट्रेडर्स', 'सेल्फ एम्प्लॉयमेंट' 'बैंक/बैंकिंग' जैसे शब्द भी कोविंद के भाषण में तो मौजूद रहे, लेकिन ये मुखर्जी के भाषण में इस्तेमाल नहीं हुए थे.

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