राष्ट्रपति चुनाव को लेकर आम सहमति बनाने के लिए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की ओर से गठित तीन सदस्यीय कमेटी के सदस्य राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और विपक्ष के अन्य नेताओं से मुलाकात की. बीजेपी नेताओं ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से भी भेंट की और दोनों नेताओं से राष्ट्रपति चुनाव को लेकर चर्चा की.
बीजेपी ने विपक्ष से पूछा उम्मीदवार का नाम
राजनाथ और वेंकैया नायडू ने सोनिया गांधी सहित विपक्ष के सभी नेताओं से मुलाक़ात कर उनसे राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार का नाम पूछा, लेकिन अपने पत्ते नहीं खोले. इस पर विपक्ष ने भी राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू पर चुटकी ली कि जिन्हें अपनी पार्टी की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार का नाम नहीं पता हैं, वो हमसे पूछ रहे हैं कि आप सुझाव दे कि किसे उम्मीदवार बनाना चाहिए. ये आम मुलाकात राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आम राय बनाने के लिए नहीं थी बल्कि शिष्टाचार के लिए थी.
आडवाणी-जोशी से नाम सुझाने को कहा
दिलचस्प ये है कि राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू ने जिस अंदाज विपक्ष के सामने ये सवाल रखा कि उनका उम्मीदवार कौन हैं? बिलकुल उसी अंदाज में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से पूछा कि किसी बेहतर उम्मीदवार का नाम सुझाएं. सूत्रों की माने तो दोनों वरिष्ठ नेताओं ने साफ-साफ कहा कि फिलहाल उनके सामने कोई नाम नहीं हैं.
आम सहमति बनाने के नाम पर शिष्टाचारिक मुलाकात कर बीजेपी नेतृत्व ये संदेश देना चाहता हैं कि वो आम सहमति बनाना चाहते थे, लेकिन विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं था और मजबूरी में चुनाव कराना पड़ा.
मुरली मनोहर जोशी ने दिया 5 प्वाइंट का फ्रेमवर्क
सूत्रों की माने तो मुरली मनोहर जोशी ने राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू के सामने राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी के उम्मीदवार को लेकर पांच फ्रेम रखे हैं.
1. राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार राजनैतिक हो.
2. पार्टी की विचारधारा से सहमत हो.
3. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के विचारों और सरकार की नीतियों को रख सकता हो.
4. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम को आगे बढ़ा सके.
5. जो भी उम्मीदवार हो, संघ उससे सहमत हो.
जोशी ने कहा कि अगर ये फ्रेम रखकर नाम तय किया जाएगा, तो देश को बेहतर राष्ट्रपति मिलेगा.
आडवाणी-जोशी रेस से बाहर
विपक्ष के साथ-साथ बीजेपी का अपने दोनों वरिष्ठ नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से मुलाकात करना और उनसे ये पूछना कि वो सुझाए कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए बेहतर नाम कौन हो सकता हैं. इसका मतलब साफ है कि इन दोनों नेताओ को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति की रेस से बाहर कर दिया गया है. अगर इन दोनों नेताओं को उम्मीदवार बनाना होता, तो इनसे बेहतर उम्मीदवार कौन हो सकता है. इस पर नाम नहीं पूछे जाते.