एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की घोषणा के बाद विपक्ष के बीच जहां दरार दिखाई दे रही है तो विपक्ष में शामिल वामपंथी दलों ने चुप्पी साध ली है. सीपीएम के तमाम नेता अब 22 तारीख को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक का इंतजार कर रहे हैं.
विपक्षी दलों की बैठक से पहले सीपीएम अब विपक्षी दलों के राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर कुछ भी कहने से बच रही है. हालांकि, सीपीएम के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी किसी भी कीमत पर एनडीए के उम्मीदवार कोविंद को राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन नहीं करेगी. वहीं कांग्रेस द्वारा हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन के नाम पर हो रही चर्चा के बारे में सीपीएम सूत्रों का कहना है कि उन्हें अभी तक औपचारिक तरीके से किसी भी उम्मीदवार के बारे में नहीं बताया गया है.
सीपीएम सूत्रों का कहना है कि छोटी-छोटी कई पार्टियां गोपाल गांधी के नाम पर भी तैयार हैं. खुद सीपीएम गोपाल गांधी को विपक्षी दलों द्वारा राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर सहमत है, लेकिन उसने फैसला फिलहाल कांग्रेस पर छोड़ा है . जाहिर है राष्ट्रपति चुनाव के लिए संख्या बल विपक्ष के पास बेहद कम है, लेकिन विपक्षी दलों में अगर एकता बनती है तो वह 2019 के चुनाव में काम आ सकती है.
नीतीश कुमार द्वारा कोविंद को समर्थन किए जाने की संभावना पर सीपीएम ने अभी कुछ नहीं कहा है. वहीं, सूत्र बताते हैं कि वामपंथियों को स्वामीनाथन के नाम पर भी ऐतराज नहीं है. इसलिए वामपंथी दल उस बैठक को अहम मान रहे हैं जिसमें कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित नाम पर सीपीएम के पोलित ब्यूरो में चर्चा की जाएगी. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ऐसा चेहरा सामने ला सकती है जिस पर सभी विपक्षी दलों की सहमति हो.