अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. मंगलवार शाम राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इसकी मंजूरी दे दी है. राष्ट्रपति शासन लगाए जाने पर राज्य के मुख्यमंत्री नाबाम तुकी ने केंद्र सरकार के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है. कांग्रेस की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दोपहर दो बजे सुनवाई होगी. कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करने के फैसले को अदालत में चुनौती दी थी.
#FLASH President's rule imposed in Arunachal Pradesh.
— ANI (@ANI_news) January 26, 2016
कैबिनेट के प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया है. केंद्रीय कैबिनेट ने रविवार को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी, जिसके बाद प्रस्ताव राष्ट्रपति के पास भेजा गया था.
We will seek justice from Supreme Court, says Arunachal Pradesh Chief Minister Nabam Tuki to ANI on Presidents' rule pic.twitter.com/drNqmhoogg
— ANI (@ANI_news) January 26, 2016
CM का आरोप- BJP के एजेंट हैं राज्यपाल
इससे पहले दिसंबर में गहराए सियासी संकट पर मुख्यमंत्री तुकी ने आरोप लगाया था कि राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा बीजेपी एजेंट के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्होंने ही सरकार गिराने के लिए कांग्रेस के विधायकों से बगावत कराई है.
Arunachal Pradesh is a peaceful state, you can go and see and give a report: Nabam Tuki pic.twitter.com/E2xtv6C990
— ANI (@ANI_news) January 26, 2016राष्ट्रपति शासन लगाए जाने से नाराज मुख्यमंत्री ने कहा कि वह केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. उन्होंने कहा, 'हमें पता था कि वे ऐसा करेंगे क्योंकि उनकी धारणा ही ऐसी है. हम डरेंगे नहीं. कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. हमारे साथ 31 विधायक हैं.'
जेडीयू ने कहा लोकतंत्र का काला अध्याय
जनता दल-यू ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने के केंद्र के फैसले को लोकतंत्र का काला अध्याय बताया है. जेडीयू नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि बीजेपी की सरकार का ये फैसला गणतंत्र दिवस के दिन को लोकतंत्र के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज करा गई.This is a black day for Republic of India at Republic Day: KC Tyagi, JDU on Presidents' rule in Arunachal Pradesh pic.twitter.com/NUfJ4dMu1z
— ANI (@ANI_news) January 26, 2016कांग्रेस की विफलता: बीजेपी
कांग्रेस और तमाम विपक्षी दलों के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजु ने कहा कि इसमें केंद्र सरकार का कोई हाथ नहीं है. बल्कि कांग्रेस की वहां की सरकार सत्ता चलाने में विफल साबित हुई और उत्पन्न स्थिति के मद्देनजर केंद्र सरकार को इस बारे में फैसला लेना पड़ा.This isn't Central Govt's creation.Cong-led State Govt failed to govern state-Kiren Rijiju onPres rule in #Arunachal pic.twitter.com/iWBKeYnUPB
— ANI (@ANI_news) January 26, 2016कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि बीजेपी असंवैधानिक तरीके से हर राज्य में अपनी सरकार बनाना चाहती है लेकिन उसे ये समझना होगा कि जब जनता उसके साथ नहीं है तो वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होगी.
AdvertisementBJP wants its Govt everywhere.You cn't impose Pres rule bcoz ppl didn't favor you-Mallikarjun Kharge,Cong #Arunachal pic.twitter.com/WpgCBjFCeu
— ANI (@ANI_news) January 26, 2016क्या है अरुणाचल का सियासी संकट
दरअसल, अरुणाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार से उसके अपने कुछ विधायक बागी हो गए हैं. बीते 16-17 दिसंबर को ही उन्होंने बीजेपी के साथ मिलकर अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें सरकार हार गई थी. लेकिन सूत्रों का कहना है कि फिलहाल राज्य सरकार विधानसभा भंग करने के मूड में नहीं है. जोड़-तोड़ की तमाम कोशिशें जारी हैं.दिसंबर में बढ़ी सियासी लड़ाई
राज्य सरकार ने दिसंबर में विधानसभा बिल्डिंग सील करा दी थी. लेकिन बागी विधायकों ने एक होटल में ही सत्र बुला लिया था. इससे पहले स्पीकर ने कांग्रेस के बागी 14 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी. लेकिन डिप्टी स्पीकर ने यह अविश्वास प्रस्ताव लाने से पहले उन सभी की सदस्यता बहाल कर दी थी.सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मसला
14 जनवरी को गुवाहाटी हाई कोर्ट ने विधानसभा के दिसंबर के उस दो दिन के सत्र को ही रद्द कर दिया था, जिस दौरान यह अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया और स्पीकर के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया. मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा. लेकिन कोर्ट ने इस सियासी लड़ाई की याचिकाएं संविधान पीठ को भेज दी हैं, जो न्यायाधीन हैं.यह है विधानसभा की स्थिति
अरुणाचल विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं. 2014 में हुए चुनाव में 42 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं. बीजेपी को 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (PPA) को पांच सीटें मिली थीं. बाद में पीपीए ने कांग्रेस में विलय कर लिया और उसके 47 विधायक हो गए. लेकिन अब लेकिन मुख्यमंत्री तुकी के पास सिर्फ 26 विधायकों का ही समर्थन है और सरकार में बने रहने के लिए कम से कम 31 विधायकों का साथ चाहिए. दो सीटों पर निर्दलीय हैं.