प्रेस काउंसिल के चेयरमैन जस्टिस काटजू और बीजेपी नेता अरुण जेटली के बीच ठन गयी है. अरुण जेटली तो काटजू से इस कदर खफा हैं उन्होंने उन्हें प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) से हटाए जाने की मांग कर दी है. जेटली ने उनपर गैर कांग्रेसी राज्यों से पक्षपात करने के आरोप मढ़े हैं. हालांकि जस्टिस काटजू ने सफाई देते हुए कहा कि उन्होंने कभी कोई पक्षपात नहीं किया औऱ अबतक जो भी कहा है उस पर वो कायम हैं.
क्या जस्टिस काटजू प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयर मैन बने रहने के हकदार नहीं? क्या जस्टिस काटजू सियासी पक्षपात करते हैं? क्या जस्टिस काटजू गैर कांग्रेसी राज्यों पर निशाना साधते आए हैं? ये सवाल उठे हैं बीजेपी के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के आरोपों से.
पिछले दिनों जस्टिस काटजू ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ एक अखबार में आर्टिकल क्या लिखा, बीजेपी बिफर गयी. अरुण जेटली ने जस्टिस काटजू पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा मांग लिया.
जेटली ने बीजेपी की वेबसाइट पर लेख लिख कर मांग की है कि या तो जस्टिस काटजू खुद प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दें या फिर उन्हें हटा दिया जाए. जेटली ने आरोप लगाया है कि जस्टिस काटजू का अखबार में लिखा लेख पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. आरोप ये भी मढ़ा की वो उनलोगों को खुश करने के लिए गैर कांग्रेसी राज्यों पर निशाना साध रहे हैं जिन्होंने उन्हें ये अहम जिम्मेदारी सौंपी है.
जेटली की चिट्ठी के बाद पूरी बीजेपी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जस्टिस काटजू को गैर कांग्रेसी राज्यों में हीं गलतियां क्यों दिखतीं हैं. उनकी नजरें बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल से आगे क्यों नहीं जातीं.
बीजेपी के तमाम हमलों के बाद भी जस्टिस काटजू अपने रुख पर कायम हैं. उनका दावा है कि उन्होंने कभी कुछ भी गलत नहीं कहा और ना ही कोई पक्षपात किया है. जेटली और बीजेपी के आरोपों को निराधार बताया और फेसबुक मामले में महाराष्ट्र सरकार की खिचांई करने का हवाला देते हुए खुद को निष्पक्ष जताने की कोशिश की.
दरअसल काटजू ने एक अखबार में लिखे अपने लेख में नरेंद्र मोदी की आलोचना करते हुए देश के लोगों से अपील की थी कि वे सोच-समझकर प्रधानमंत्री चुनें. उन्होंने मोदी को गुजरात दंगों का गुनहगार तक ठहरा दिया था.
इससे पहले जस्टिस काटजू की अध्यक्षता में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बिहार की नीतीश कुमार सरकार पर भी प्रेस की स्वतंत्रता कुचलने के आरोप लगाए थे.
जाहिर है ये तमाम बातें और जस्टिस काटजू का हमला बीजेपी के गले नहीं उतर रही है. नजरें 2014 चुनाव पर है, सवाल छवि का है. बीजेपी को मालूम है कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन की बातें पार्टी और गठबंधन की छवि को नुकसान पहुंचा सकती है शायद यही वजह है कि बीजेपी ने भी सीधा हमला काटजू की छवि पर किया है.