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नया कानून...सही काम को घूस अपराध नहीं!

मोदी सरकार का लॉ कमीशन ने एक ऐसा कानून प्रस्ताव लेकर आया है, जो भ्रष्टाचार को कम करने की बजाए बढ़ाएगा. इस प्रस्तावित कानून में है कि अगर को कर्मचारी सही काम के लिए रिश्वत लेता है तो उसे दंड नहीं दिया जाएगा.

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मोदी सरकार का लॉ कमीशन एक ऐसा प्रस्ताव लेकर आया है, जो भ्रष्टाचार को कम करने के बजाए बढ़ाएगा. इस प्रस्तावित कानून में है कि अगर कोई कर्मचारी सही काम के लिए रिश्वत लेता है तो उसे दंड नहीं दिया जाएगा.

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इस प्रस्तावित कानून के प्रावधान में उन्हीं सरकारी कर्मचारियों को सजा दी जाएगी, जिन्होंने कोई सरकारी काम गलत तरीके से करने के बदले रिश्वत ली हो. हालांकि आयोग का मानना है कि प्रस्तावित कानून का दायरा बढ़ना चाहिए, जिससे सही काम के लिए रिश्वत लेने वालों पर भी कार्रवाई का प्रावधान बने. आयोग के मुताबिक कानून बनाने में भारत की जमीनी हकीकत को ध्यान में नहीं रखा गया है.

सरकार को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में आयोग ने कहा है कि इसमें उन स्थितियों को नहीं ध्यान में रखा गया है, जो भारत में बेहद आम हैं. कई सरकारी कर्मचारी तो अपना काम ठीक ढंग से करने के लिए रिश्वत ले लेते हैं.' कमीशन ने कहा है कि ऐसे हालात को देखते हुए प्रस्तावित कानून में उपाय किए जाने चाहिए.

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित कानून के तहत रिश्वत से जुड़े अपराध की नई परिभाषा ने करप्शन मानी जाने वाली हरकतों का दायरा काफी 'घटा' दिया है, जबकि कानून का मकसद इसे बढ़ाने का था. रिपोर्ट में कहा गया है कि काम कराने के एवज में सेक्सुअल फेवर्स को प्रस्तावित कानून में कवर नहीं किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1988 में कहा गया था कि 'वैध शुल्क के अलावा कोई भी दी गई चीज या किया गया फेवर' रिश्वत माना जाएगा, जबकि प्रस्तावित कानून में 'फाइनैंशल या अन्य लाभ' को रिश्वत बताया गया है.

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लॉ कमिशन की रिपोर्ट में कहा गया है, 'नए फॉर्म्युलेशन से उलट रिश्वत की परिभाषा को अब तक सिर्फ रुपये-पैसे तक सीमित नहीं रखा गया है. उदाहरण के लिए, किसी सरकारी कर्मचारी से कोई काम कराने या कोई काम करने से रोकने के बदले उसे दिए गए यौन आनंद को भी रिश्वत के दायरे में कवर किया गया है.'

कमिशन ने कहा है कि भारत ने यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन अगेंस्ट करप्शन को स्वीकार किया था और इसी वजह से प्रस्तावित विधेयक की जरूरत पड़ी थी, लेकिन जो संशोधन हैं, वे काफी हद तक यूके ब्राइबरी एक्ट 2010 के प्रावधानों जैसे हो जाएंगे. कमिशन ने कहा है कि ब्रिटेन के कानून में रिश्वत का अपराध तय करते वक्त सरकारी कर्मचारियों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों में फर्क नहीं किया गया है, जबकि भारत का नया प्रस्तावित कानून केवल सरकारी कर्मचारियों पर लागू होगा.

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