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प्रधानमंत्री और सोनिया गांधी ने आधार (यूआईडी कार्ड) जारी किए

आदिवासी गांव थेंभली के 10 आदिवासी विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) हासिल करने वाले पहले व्यक्ति बने जिन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इसे हासिल किया.

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आदिवासी गांव थेंभली के 10 आदिवासी विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) हासिल करने वाले पहले व्यक्ति बने जिन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से इसे हासिल किया. रंजना सोनावाने और हितेश सोनावाने को पहला यूडीआई कार्ड दिया गया.

मनमोहन और सोनिया ने विशिष्ट भारतीय पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के पहले 10 कार्ड एक समारोह में आदिवासी गांव के लोगों को बांटे.

इस समारोह में महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायणन मुख्यमंत्री, अशोक चव्हाण, योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया और यूआईडीएआई प्रमुख नंदन नीलेकणी भी मौजूद थे.

समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि विशिष्ट पहचान कार्ड का वितरण आम आदमी के कल्याण के लिए एक बड़े प्रयास की शुरुआत है.

उन्होंने कहा ‘गरीबों के पास कोई परिचय पत्र नहीं होता. इस कमी के चलते वे बैंक खाता नहीं खोल सकते या राशन कार्ड हासिल नहीं कर सकते. वे सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा सकते और कई बार इन लाभों को दूसरे हड़प जाते हैं.’ मनमोहन ने कहा कि जो आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं वे इस कार्यक्रम के सबसे बड़े लाभार्थी होंगे.

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उन्होंने कहा ‘‘हम अपने गरीबों अनुसूचित और अनुसूचित जन जातियों को प्रत्येक अवसर मुहैया कराएंगे जिससे वे सम्मानजनक जीवन जी सकें.’{mospagebreak}
मनमोहन ने यह भी कहा कि विशिष्ट संख्या नए और आधुनिक भारत का प्रतीक है. ‘हम प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. अब दुनिया में प्रौद्योगिकी व्यापक तौर पर इस्तेमाल हो रही है. मुझे उम्मीद है कि प्रत्येक भारतीय को यह संख्या जल्द मिल जाएगी.’ सोनिया गांधी ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए और कहा कि विशिष्ट पहचान संख्या सार्वजनिक वितरण प्रणाली की खामियों को दूर करने में मदद करेगी. उन्होंने कहा ‘अब नकली राशन कार्डों की समस्या को काबू में किया जा सकेगा.’
गांधी ने कहा ‘मेरा मानना है कि गरीब और हासिये पर चले गये लोगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक और कारगर कदम है.’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नीत संप्रग सरकार की नीति एवं योजनाओं का मकसद उन लोगों को सशक्त बनाना है जो ‘गरीब और वंचित’ हैं.

गांधी ने कहा कि लोगों के सशक्तीकरण के लिये संप्रग सरकार सूचना का अधिकार जैसे कई कानून और महात्मा गांधी नरेगा जैसी कई योजनायें लायी और इनका मकसद ‘खाद्य सुरक्षा कानून’ लाना भी है.

इसी तरह वनाधिकार कानून का मकसद उन आदिवासियों और जंगलों में रहने वालों को अधिकार देना है जो उस जमीन पर पीढियों से खेती करते आ रहे हैं.

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गांधी ने हालांकि कहा कि गांवों और पंचायतों की तस्वीर बदलने के लिये केवल कानून लाना ही पर्याप्त नहीं है.

उन्होंने कहा ‘‘ हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि उनका :कानून : क्रियान्वयन हो और उनका लाभ उनको सीधा मिले जो उसके हकदार हैं.

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