प्राइम मिनिस्टर ऑफिस में देरी से चल रही ट्रेनों की शिकायतों की भरमार है. ताज्जुब यह है कि रेलवे विभाग आपातकाल के समय की फाइलें छान रहा है कि आखिर उस समय ट्रेनें टाइम पर कैसे चलती थीं. ट्रेनों के लेट चलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नाराजगी दिखाते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु से इसके बारे में जवाब मांगा है.
रेलवे विभाग से जब यह पूछा गया कि इमरजेंसी के वक्त कैसे टाइम से चलती थी ट्रेनें, तो विभाग ने उस दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले सिस्टम का अध्ययन करने के लिए पुरानी फाइलें खंगालना शुरु कर दिया है. आंकड़ों के मुताबिक पुरानी तकनीक होने पर भी इमरजेंसी के दौरान ट्रेनें 90 फीसदी तक सही समय पर चलती थीं. फिलहाल पीएमओ की सख्ती के बाद रेल मंत्री प्रभु खुद ट्रेनों की टाइमिंग को लेकर रोजाना समीक्षा कर रहे हैं.
उत्तर रेलवे जोन में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. पिछले साल मार्च में ट्रेनों के सही समय पर चलने का आंकड़ा 82 प्रतिशत था जो अब गिरकर 60 प्रतिशत पर आ गया है. रेलवे ट्रैफिक डायरेक्टोरेट ने इसके लिए सिग्नल्स की खराबी, चलती ट्रेनों को बार-बार रोका जाना और इलेक्ट्रिक वायरों में खराबी आदि जैसे कारणों की दुहाई दी है.
पहले ट्रेनों में ऑटोमैटिक 'डाटा लॉगर' का इस्तेमाल किया जाता था जिससे ट्रेन के देरी से चलने का सही कारण पता चल जाता था. लेकिन इसकी लागत ज्यादा होने की वजह से यह काम मैन्युअली किया जाने लगा. रेलवे बोर्ड मेंबर (ट्रैफिक) अजय शुक्ला ने सभी जोनल रेलवे प्रबंधकों को पत्र लिखकर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा है कि अगर ट्रेनों का देरी से चलना जारी रहा तो संबंधित अधिकारी को सस्पेंड किया जा सकता है या फिर उसका तबादला किया जा सकता है.