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अंबेडकर जयंती के दिन PM मोदी करेंगे 'आयुष्मान भारत' की शुरुआत

प्रधानमंत्री बीजापुर से 12 किलोमीटर दूर जंगला गांव में देश के पहले हेल्थ और वेलनेस सेंटर का उद्घाटन करेंगे. बीजापुर छत्तीसगढ़ के सबसे दुर्गम और पिछड़े इलाकों में से एक है और नरेंद्र मोदी इस जिले में जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)

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देशभर में दलितों को लेकर मचे राजनीतिक संग्राम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के दिन सरकार की छवि को चमकाने के लिए और गरीबों की हितैषी साबित करने के लिए एक नई पहल करेंगे. अंबेडकर जयंती के दिन से सरकार इस साल के बजट में घोषित सबसे चर्चित स्वास्थ्य योजना 'आयुष्मान भारत' की शुरुआत करेगी.

आयुष्मान भारत की सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर हुई थी कि सरकार गरीबों परिवारों को मुफ्त में 5 लाख का स्वास्थ्य बीमा मुहैया  कराएगी. यह स्वास्थ्य बीमा योजना किस तरह से लागू होगी और इसके लिए अरबों रुपये कहां से आएंगे, इसको लेकर तमाम तरह के सवाल उठाए गए थे.

सरकार का ध्यान वेलनेट सेंटर पर

फिलहाल सरकार ने स्वास्थ्य बीमा योजना के बजाय 'आयुष्मान भारत' के तहत घोषित वेलनेस सेंटर पर अपना ध्यान लगाया है. बजट में 'आयुष्मान भारत' योजना के तहत यह घोषणा भी की गई थी की सरकार 2022 तक पूरे देश में डेढ़ लाख वेलनेस सेंटर की स्थापना करेगी जो सबको अपने घर के करीब मुफ्त स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने की दिशा में पहला कदम होगा. 14 अप्रैल को प्रधानमंत्री इस योजना के तहत देश के पहले हेल्थ और वेलनेस सेंटर का उद्घाटन करेंगे.

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योजना को लॉन्च करने के लिए देश के सबसे पिछड़े और गरीब जिलों में से एक छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले का चुनाव किया गया है.

प्रधानमंत्री बीजापुर से 12 किलोमीटर दूर जंगला गांव में देश के पहले हेल्थ और वेलनेस सेंटर का उद्घाटन करेंगे. बीजापुर छत्तीसगढ़ के सबसे दुर्गम और पिछड़े इलाकों में से एक है और नरेंद्र मोदी इस जिले में जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे. गौर करने की बात यह भी है कि इसी साल के अंत में छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं.

बीजापुर ही क्यों

प्रधानमंत्री ने 'आयुष्मान भारत' की शुरुआत करने के लिए छत्तीसगढ़ का बीजापुर जिला ही क्यों चुना इसके बारे में बताते हुए नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बताया कि प्रधानमंत्री के कहने पर देशभर में सबसे पिछड़े 115 ऐसे जिले चुने गए हैं जो विकास के मामले में देश के बाकी हिस्सों से काफी पीछे छूट गए हैं.

इन जिलों की लिस्ट बनाकर सरकार इन्हें आगे लाने के लिए खास तौर पर योजना बना रही है और राज्य सरकारों के साथ इन्हें विकास के मामले में आगे बढ़ाने के लिए पूरी ताकत लगा रही है. इन जिलों को आगे बढ़ाने के लिए जो कदम उठाए जा रहे हैं वह कितने कारगर हो रहे हैं इसकी लगातार मॉनिटरिंग हो रही है.

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अमिताभ कांत ने बताया कि 81  प्रतिशत अनुसूचित जनजाति वाला बीजापुर बुरी तरह से नक्सल प्रभावित होने के बावजूद पिछड़े जिलों के लिस्ट में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाला दूसरा जिला साबित हुआ है.

गांवों में संभव होगा इलाज

अमिताभ कांत ने बताया कि सरकार की योजना है कि  स्वास्थ्य के लिए बीमा योजना लागू करने से पहले देशभर में प्राइमरी हेल्थ सेंटर को मजबूत किया जाए ताकि लोगों को छोटी मोटी बीमारी के लिए भी जिला अस्पताल और बड़े अस्पतालों के चक्कर नहीं लगाने पड़े.

आयुष्मान भारत की रूपरेखा तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले नीति आयोग के सदस्य डॉक्टर वीके पाल ने कहा कि हेल्थ और वेलनेस सेंटर में ना सिर्फ छोटी मोटी बीमारियों का इलाज होगा और मुफ्त दवाइयां मिलेंगी बल्कि हाई ब्लड प्रेशर डायबिटीज और तीन तरह के कैंसर की प्रारंभिक जांच भी की जाएगी ताकि शुरुआती स्टेज में ही इन बीमारियों को पकड़कर इसका इलाज किया जा सके. जिन तीन तरह के कैंसर का हेल्थ और वेलनेस सेंटर में जांच होगी वह है ओरल कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और सर्विक्स कैंसर.

जांच के दौरान जिन लोगों में इन बीमारियों के लक्षण पाए जाएंगे उन्हें तत्काल ही जिला अस्पताल या बड़े अस्पताल में रेफर किया जाएगा. हेल्थ और वेलनेस सेंटर को जिला अस्पताल से इस तरह से जोड़ा जा रहा है कि वहां मौजूद स्वास्थ्य कर्मचारी किसी जरूरत और सलाह के लिए तत्काल जिला अस्पताल के डॉक्टर से मशवरा कर सकें.

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डॉक्टर बीके पाल ने बताया कि सरकार इस साल पूरे देश में ऐसे 15000 हेल्थ और वेलनेस सेंटर शुरू करेगी.  इनमें बहुत से केंद्र ऐसे होंगे जहां पहले से मौजूद प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर को ही और सुविधाओं के साथ हेल्थ और वेलनेस सेंटर में तब्दील किया जाएगा.

माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी आयुष्मान भारत योजना को लागू करने को अपनी बड़ी सफलताओं में से गिनाएगी. इसकी घोषणा करते समय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना होगी. लेकिन इसे लागू करने को लेकर तमाम तरह के सवाल उठ रहे हैं और सरकार के पास इतनी बड़ी योजना को लागू करने के लिए समय बहुत कम है. 14 अप्रैल को इस योजना की शुरुआत करके प्रधानमंत्री यह संदेश देना चाहेंगे कि  सरकार ने इस योजना को लागू करने के लिए कमर कस लिया है.

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