विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उम्मीद है कि देश में बने सबसे बड़े युद्धपोत आईएनएस कोलकाता को अगले कुछ हफ्तों में मुंबई में नौसेना में शामिल किया जा सकता है.
रक्षा अधिकारियों ने यहां बताया कि स्वदेश में तैयार सबसे बड़े युद्धपोत को नौसेना में शामिल किए जाने के लिए पहले ही प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया जा चुका है. यह युद्धपोत मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है और नौसेना के डिजायन ब्यूरो ने इसका डिजायन तैयार किया है.
उन्होंने बताया कि 6,800 टन का यह युद्धपोत निर्धारित समय से तीन साल की देरी से शामिल किया जा रहा है. इस युद्धपोत के जरिए पोतनिर्माण प्रौद्योगिकी में भारत की बड़ी उपलब्धि प्रदर्शित होगी.
यह युद्धपोत भारतीय नौसेना की कोलकाता श्रेणी के विध्वंसकों का हिस्सा है. इसी श्रेणी में बाद में क्रमश: आईएनएस कोच्चि और आईएनएस चेन्नई को शामिल किया जाएगा.
शुरुआती योजना के अनुसार इसे 2010 में शामिल किया जाना था लेकिन कई परियोजनाओं में देरी होने के कारण अब इसे 2014 में शामिल किया जाएगा. परीक्षण के दौरान पोत में एक दुर्घटना भी हुई थी जब नौसेना के एक अधिकारी की मौत हो गई थी.
नौसेना में शामिल किए जाने के पहले समुद्र में हथियार परीक्षण के क्रम में आईएनएस कोलकाता ने इसी महीने कारवार तट से ब्रह्मोस मिसाइल का प्रक्षेपण किया था. भारत करीब 40,000 टन के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का भी निर्माण कर रहा है. लेकिन इसके नौसेना में शामिल होने में अभी तीन साल और लगेंगे.
आईएनएस विक्रमादित्य करीब 15,000 करोड़ रुपए की लागत से रूस से प्राप्त की गई है और यह समुद्री बल में अब तक का सबसे बड़ा पोत है और इसके कम से कम अगले दशक तक इस स्थिति में बने रहने की संभावना है.