रविवार को प्रसारित होने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को चुनाव आयोग की मंजूरी मिलने के एक दिन बाद कांग्रेस ने इस बात पर हैरत जताई कि सरकार की ओर से मांगे गए एक स्पष्टीकरण के आधार यह इजाजत दी गई.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) में विधि प्रकोष्ठ के प्रभारी सचिव केसी मित्तल ने कहा, ‘ हमें यह जानकर हैरत हुई कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से 15 सितंबर को किए गए किसी अनुरोध के आधार पर चुनाव आयोग ने ‘मन की बात ’ को इजाजत दी है.’
आयोग ने किसी अनुरोध के बारे में नहीं बताया
मित्तल ने कहा, ‘ हमारे प्रतिनिधिमंडल ने 16 सितंबर को दोपहर 2:40 बजे आयोग से मुलाकात की और करीब 3:00 बजे तक चर्चा हुई. लेकिन न तो आयोग ने और न ही किसी अन्य ने आयोग द्वारा प्राप्त किसी अनुरोध के बारे में बताया, जिसका साफ मतलब है कि उस वक्त तक कोई अनुरोध नहीं किया गया था और यदि यह प्राप्त किया गया था, तो प्रतिनिधिमंडल को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई.’
मुलाकात के लिए मांगा था वक्त
उन्होंने कहा कि मीडिया को इन घटनाक्रमों के बारे में पता था लेकिन किसी भी चैनल ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से चुनाव आयोग को भेजे गए किसी अनुरोध की खबर नहीं दी. मित्तल ने कहा कि उन्होंने 15 सितंबर को महागठबंधन के प्रतिनिधियों की चुनाव आयोग से मुलाकात के लिए वक्त मांगा था, लेकिन बात नहीं बन सकी थी.
‘मन की बात’ कल्याणकारी योजना नहीं
बैठक की तारीख 16 सितंबर तय की गई, लेकिन उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के किसी संवाद के बारे में नहीं बताया गया. मित्तल ने कहा, ‘ यह बहुत गंभीर मामला है. यह भी गौर करने वाली बात है कि ‘मन की बात’ पहले से चालू कोई कल्याणकारी योजना नहीं, बल्कि महज एक भाषण है. यह पूरा मामला कामकाज पर सवाल उठाता है और माननीय चुनाव आयोग की ओर से इसकी गहन जांच की जरूरत है, ताकि इस पर विश्वास एवं इसकी संवैधानिक स्वतंत्रता बरकरार रहे.’
Constitutional bodies should maintain their independence and not relent under pressure-KC Mittal, Congress on ECI order on Mann ki Baat
— ANI (@ANI_news) September 19, 2015
इनपुट- भाषा