राष्ट्रपति के अभिभाषण में संशोधन का प्रस्ताव राज्यसभा से पास हो गया है. कालेधन पर सीताराम येचुरी ने संशोधन प्रस्ताव रखा था. इस प्रस्ताव के पक्ष 118 वोट पड़े, जबकि विपक्ष में 57 वोट पड़े. इससे पहले विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक में बदलाव के लिए सहमत होने का संकेत देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को संसद में कहा कि किसानों को जमीन के मुआवजे के प्रावधान में ‘सूत’ भर बदलाव नहीं किया गया है और अगर इसमें किसानों के खिलाफ एक भी चीज है तो वह उसे बदलने को तैयार है.
प्रधानमंत्री ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का जवाब के दौरान भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष से सहयोग की अपील की, जहां सत्तारूढ गठबंधन के पास बहुमत नहीं है. मोदी ने कहा, 'यह वरिष्ठजनों का सदन है और भूमि अधिग्रहण के बारे में कई चिंताएं व्यक्त की गई. मैं प्रथम दिन से कहता रहा हूं कि इसमें कोई कमियां हैं, तो उसे ठीक कर लें. अगर कोई कमियां हैं तो (हम) जरूरी सुधार करने को तैयार हैं.'
उन्होंने कहा कि पिछले विधेयक में भी हमने सहयोग दिया था. अगर वह अच्छा था तब हमें उसका श्रेय नहीं दें, लेकिन कोई कमियां हैं तो हम उस 'पाप' के भागीदार हम भी हैं. पिछले कानून में जमीन मिलने का प्रावधान प्रभावी नहीं था, ऐसे में स्कूल, रक्षा प्रतिष्ठान आदि के विकास के कार्यों को कैसे आगे बढ़ाया जाता.
मोदी ने कहा, 'किसानों के खिलाफ एक भी चीज है तो मैं उसे बदलने के लिए तैयार हूं. अगर कोई कमियां हैं, तो इसे मिलकर दूर करें और इसे पास करें. प्रधानमंत्री ने कहा कि वर्तमान कानून के संदर्भ में नये विधेयक में मुआवजे के प्रावधान में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसमें सूत भर बदलाव नहीं आया हैं. मुआवजा उतना ही होगा, जो पिछले विधेयक में था. इस बारे में गलत बात नहीं फैलाई जाए. पिछले भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार बनी तब सभी राज्यों और सभी दलों के मुख्यमंत्रियों ने एक आवाज में हमसे कहा कि किसानों के बारे में सोचें. प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यों का कहना है कि पिछला कानून बोझ बना गया है.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि वह दावा कर रही है कि वह भूमि अधिग्रहण पर अच्छा कानून लेकर आई. लेकिन 1894 के कानून के बाद इस 120 वर्ष पुराने कानून को बदलने और उसे किसानों के बारे में सोचने के लिए 60 वर्ष से ज्यादा लग गए.
इससे पहले मोदी ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा. मोदी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय की योजनाओं के नाम बदलकर कांग्रेस सरकार ने अपनी योजनाओं के तौर पर आगे बढ़ाया. जो योजनाएं पहले से चल रही थी. उन्हीं की पैकेजिंग करके उन्हें अपना बताया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सदन जनमत का आदर करेगी और केंद्र सरकार जिम्मेदारी निभाने में पीछे नहीं हटेगी. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में धमकियां ना चलती हैं, ना चलेगी. आपातकाल से बड़ी धमकी इस देश के लिए क्या होगी. उन्होंने कहा कि जो बातें कहीं ना गई हो, उन्हें किसी के मुंह में ना डाले.
भारत के संतुलित विकास पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र हर दरिद्र की सेवा के लिए प्रतिबद्ध है. गरीबों को घर देने की कोशिश है. भुजाओं में हुनर हो, ये जरुरी है. ताकि विकास की आंच सब तक पहुंचे.
सांसदों के शोर के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में मोदी ने कहा कि सदन में एक पार्टी से ज्यादा हम एक राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. देश के विकास के लिए सबको मिलकर काम करेगा.
सरकार की मंशाओं पर सवाल उठाने विपक्ष के सवालों के जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि ये स्वच्छता अभियान किसके लिए हैं. कॉरपोरेट के लिए, व्यापारियों के लिए, अमीरों के लिए हैं. स्कूल में टॉयलेट बनाना कॉरपोरेट का काम है क्या? क्या जन धन योजना कॉरपोरेट के लिए है क्या?