ललित मोदी विवाद, व्यापम घोटाले और बाकी मुद्दों पर विपक्ष के हमलों को नाकाम करने की कवायद के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद के मानसून सत्र से पहले सोमवार शाम एनडीए के सभी घटक दलों की पहली बैठक बुलाई है ताकि विपक्ष का सामना करने की रणनीति तैयार की जा सके.
पीएम की यह बैठक इसलिए अहम है क्योंकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और वाम दलों ने व्यापम घोटाले और ललित मोदी विवाद सहित कई मुद्दों पर सरकार को घेरने का मन बना लिया है. इन मामलों में बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के नाम सामने आए हैं.
प्रधानमंत्री ने पहली बार NDA के घटक दलों की बैठक बुलाई
मई 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पहली बार अपने गठबंधन सहयोगियों की बैठक बुलाई है.
संसद में अपनी सरकार के लिए विपक्ष की ओर से खड़ी
की जाने वाली मुश्किल को भांपते हुए मोदी ने स्वीकार किया था कि अब मुकाबला होगा. जम्मू में एक कार्यक्रम
को संबोधित करते हुए मोदी ने शुक्रवार को कहा था, 'हम
सब (गुलाम नबी आजाद सहित) यहां बैठे हुए हैं, लेकिन कुछ दिनों में होने वाले हमारे मुकाबले को देखने के
लिए इंतजार करें.' गौरतलब है कि आजाद अभी राज्यसभा में
नेता प्रतिपक्ष हैं.
बीजेपी की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी शिवसेना एनडीए के घटक दलों की बैठक बुलाने की मांग करती रही है. राज्यसभा में पार्टी के नेता संजय राउत ने यह कहते हुए मोदी के इस फैसले पर खुशी जाहिर की कि इससे गठबंधन को विपक्ष की चुनौती का सामना करने की रणनीति तैयार करने में मदद मिलेगी.
राज्यसभा में होगी बड़ी परेशानी
केंद्रीय मंत्रियों के साथ अमित शाह की बैठक
इससे पहले रविवार को बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पीएम मोदी से मुलाकात की. शाह ने केंद्रीय मंत्री अरुण
जेटली, सुषमा स्वराज, स्मृति ईरानी, रवि शंकर प्रसाद और पीयूष गोयल के साथ भी मीटिंग की. इस दौरान यह
तय किया गया कि सरकार विपक्ष के दबाव में किसी भी मंत्री या नेता का इस्तीफा नहीं मांगेगी.
बीजेपी संसदीय दल की बैठक आज
एनडीए के घटक दलों के साथ मोदी की बैठक के बाद बीजेपी संसदीय दल की कार्यकारिणी की बैठक होगी.