ये आकाशवाणी है... और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशवासियों से बात करेंगे. एक समय देशवासियों के लिए सूचना का सबसे बड़ा स्त्रोत रहे आकाशवाणी के अच्छे दिन आने वाले हैं. ट्विटर पर 140 शब्दों के जरिए ट्वीट की शक्ल में बतियाने वाले प्रधानमंत्री अब हर पखवाड़े रेडियो के जरिए देशवासियों से संवाद करेंगे. आकाशवाणी इसे अपनी ब्रैडिंग को दोबारा स्थापित करने के लिए मौके के रूप में देख रहा है. प्रधानमंत्री इस संवाद कार्यक्रम के तहत 3 अक्टूबर को देशवासियों से पहली बार बात करेंगे. अंग्रेजी अखबार इकोनॉमिक टाइम्स ने यह खबर प्रकाशित की है.
पहले दूरदर्शन फिर निजी टेलीविजन चैनल और उसके बाद प्राइवेट एफएम चैनलों ने सरकारी रेडियो को पछाड़ दिया और लोगों के बीच अपनी पैठ बना ली. राजनेता जहां टीवी के जरिये अपनी बात रखना पसंद करते हैं, वहीं रेडियो एंटरटेनमेंट के नाम पर लोगों ने प्राइवेट एफएम चैनलों से नाता जोड़ लिया है.
देशवासियों से बात करने के प्रधानमंत्री के इस निर्णय से आकाशवाणी को एक बार फिर अटेंशन मिलने जा रहा है. नियमित अंतराल पर प्रधानमंत्री द्वारा लगातार संवाद किए जाने से माना जा रहा है वे देशवासियों से मुद्दों पर सलाह लेंगे. प्रधानमंत्री की यह बातचीत पूरी तरह इनफॉर्मल होगी.
इसके साथ ही आकाशवाणी भी इस मौके को भुनाने की तैयारी में है. इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इसके लिए प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास 7 रेसकोर्स पर स्टूडियो बनाया गया है. यह ठीक उसी तरह है जैसा अमेरिकी राष्ट्रपति के ओवल दफ्तर में है. कार्यक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, 'इसके लिए ऑप्टिकल फाइबर पहले ही बिछाया जा चुका है.'
प्रधानमंत्री का यह संवाद कार्यक्रम पूरे भारत के लोगों तक रेडियो के जरिए पहुंचेगा. अपनी खराब ब्रैडिंग इमेज के बावजूद आकाशवाणी देश के 92.6 फीसदी भूभाग को कवर करती है. रेडियो के जरिए प्रधानमंत्री 99.20 प्रतिशत देशवासियों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं. आकाशवाणी के साथ देश के 90 फीसदी हिस्से तक पहुंच रखने वाला दूरदर्शन आकाशवाणी की ऑडियो फीड प्रसारित करेगा.