अयोध्या में राम मंदिर कब बनेगा, जैसे-जैसे सवाल जोर पकड़ता जा रहा है, सियासी हलचल भी तेज होती जा रही है. संघ विचारक और राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा ने इस दिशा में अहम पहल करते हुए संसजद में प्राइवेट मेंबर बिल लाने का एलान किया है. राकेश सिन्हा ने ट्वीट किया कि जो लोग बीजेपी और आरएसएस को उलाहना दे रहे हैं कि राम मंदिर की तारीख बताएं क्या वह उनके प्राइवेट बिल का समर्थन करेंगे.
इस बीच, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राम मंदिर मामले को लेकर केंद्र की मोदी सरकार निशाना साधा है. राम मंदिर के लिए राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा द्वारा प्राइवेट मेंबर बिल लाए जाने की बात पर उन्होंने कहा कि यह असंवैधानिक है. मामला जब कोर्ट में है तो सरकार ऐसी घोषणाएं करके जमीन पर पानी का स्तर जानने की कोशिश कर रही है.
उन्होंने कहा कि राम मंदिर मसले पर प्राइवेट मेंबर बिल, बिल या अध्यदेश लाना मेरी कानून की जानकारी के मुताबिक पूर्ण रूप से असंवैधानिक है.
ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग पर भी निशाना
इसके अलावा उन्होंने भारत के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग सुधार अच्छा है. मैं इसको लेकर खुश हूं लेकिन ये बहुत लिमिटेड स्टडी होती है. मुंबई या बंगलुरू जैसे शहर में सुधार को दिखाती है. इससे विदेशी निवेश पर बड़ा असर होगा ऐसा नहीं लगता क्योंकि इसके लिए दूसरे फैक्टर महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने कहा कि गोरखपुर में बिजनेस आसान बने तो इसका व्यापक असर समझ जा सकता है. लेकिन ये एक संस्था सीमित अध्ययन होता है.
इससे पहले राकेश सिन्हा ने कहा कि अब समय आ गया है कि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए. राज्यसभा सांसद ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट ने आखिर आर्टिकल 377, जलीकट्टू, सबरीमाला पर निर्णय लेने पर कितने दिन लिए? अयोध्या का मामला उनकी प्राथमिकताओं में नहीं है, लेकिन हिंदुओं की प्राथमिकता में वह जरूर है.
राकेश सिन्हा ने लिखा कि अगर विपक्ष के नेता उन्हें बिल पर कोई सुझाव देना चाहते हैं तो दे सकते हैं. अगर राहुल गांधी, मायावती, अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव या अन्य नेता उन्हें उनके घर बुलाएंगे तो वहां भी जाने के लिए तैयार हैं.
उन्होंने ट्विटर के जरिए ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी, लालू प्रसाद यादव और मायावती से सीधा सवाल किया, कि क्या वह उनके इस बिल का समर्थन करेंगे. वे लगातार बीजेपी और संघ पर तारीख नहीं बताएंगे की बात कहते हैं, क्या अब वह जवाब देंगे.
क्या होता है प्राइवेट मेंबर बिल?
लोकसभा और राज्यसभा में जो सांसद मंत्री नहीं है वह एक निजी सदस्य कहलाता है. लोकसभा में ऐसे सदस्यों की ओर से पेश किए गए विधेयक को निजी विधेयक कहते हैं. हालांकि निजी विधेयक के पारित होने की सम्भावना कम होती है. प्रत्येक शुक्रवार को संसदीय कार्यवाही के आखिरी दो या ढाई घंटों का समय निजी बिल के लिए तय रहता है.