इंदिरा की छवि और अंदाज में इलाहाबाद के आनंद भवन में जब प्रियंका नजर आईं तो उनका लिबास और अंदाज देखकर कांग्रेसी बोले कि वाकई इंदिरा की झलक दिख रही है. सफेद सूट, इंदिरा का हेयर स्टाइल और चेहरे पर इंदिरा जैसी मुस्कान. मौका था इंदिरा की जन्मशती पर चित्र प्रदर्शनी के उद्घाटन का. हां, राजनैतिक मुकाम भी इंदिरा की राह पर होगा, ये तो उनके खुलकर सियासत में उतरने पर ही मालूम होगा, लेकिन कांग्रेसी तो उम्मीद का सपना पाले बैठे ही हैं.
हर जगह भाई के साथ-साथ रहीं प्रियंका
जैसा कि परिवार ने तय किया है कि प्रियंका सिर्फ राहुल की सहयोगी की भूमिका में ही रहेंगी. वैसे ही पूरे कार्यक्रम में प्रियंका राहुल के साथ दिखीं. लेकिन जैसे ही राहुल से दूर हुईं तो अपने अंदाज में दिखने लगीं. सबके साथ सेल्फी खिंचवाई. सबको एहसास कराया कि वो सबसे मिल रही हैं.
90 साल के पूर्व विधायक से जाकर हाल-चाल पूछा
90 साल की आयु में कार्यक्रम में चुपचाप बैठे पूर्व विधायक भगवती प्रसाद अकेले कुर्सी पर लाचार से बैठे थे, तभी कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने प्रियंका का ध्यान उधर खींचा. फिर क्या था प्रियंका जाकर उनके साथ बैठ गईं, उनका हाल जाना. तब बुजुर्ग नेता को फौरन इंदिरा याद आ गईं और आंखें नम होना तो लाजमी ही था.
फिर बच्चों संग की मस्ती
इसके बाद प्रियंका बाल भवन में रहकर पढ़ने वाले छोटे-छोटे बच्चों के साथ घूमने लगीं. किसी को गोद में उठाया तो किसी के गाल नोचे. बच्चों के साथ इंदिरा की तस्वीरों की प्रदर्शनी देखी. फिर बच्चों को इकठ्ठा करके बोलीं कि खूब पढ़ो, लेकिन शरारत भी खूब करो और कोई कुछ बोले तो बोल देना कि प्रियंका दीदी ने कहा है.
आखिर में प्रियंका अपनी मां सोनिया के साथ राहुल को विदा करने गईं तो वहां खड़ा हर कांग्रेसी यही बातें कर रहा था कि वाह प्रियंका. कुल मिलाकर सियासत में आने से पहले प्रियंका अपनी छवि और अंदाज का खास ख्याल रखती हैं, लेकिन विरोधी ये कहने से नहीं चूकते कि प्रियंका के प्रचार के बावजूद अमेठी-रायबरेली में पार्टी 2012 विधानसभा चुनाव में क्यों हारी. कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद ने कहा कि ये स्थानीय मुद्दे, स्थानीय उम्मीदवार और राज्य के समीकरण का मामला रहा, सिर्फ एक चुनाव के प्रचार को पैमाना मान लेना गलत है. इसके पहले लगातार उन्होंने सफलता भी दिलाई है, लेकिन जब भी खुलकर सक्रिय होंगी, फैसले लेंगी, तब बात और ही होगी.