कांग्रेस का 84वां महाधिवेशन दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में शनिवार को चलता रहा. राहुल और सोनिया गांधी के भाषण हुए. इस दौरान कई प्रस्ताव पास हुए. इस दौरान मंच पर किसी को जगह तो नहीं दी गई थी. कद के हिसाब से नेता मंच के सामने बैठे रहे. मंच पर किसी नेता को जगह नहीं देने के पीछे राहुल का उद्देश्य ये था कि मंच पर कार्यकर्ता और नेता बोलने आएं जिससे अधिवेशन को नेतृत्व का नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं का कहा जाए.
इतिहास का पहला मौका
कांग्रेस के इतिहास में यह पहला मौका था, जब नेता मंच पर नहीं थे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी हों, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी हों या फिर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, सभी सामने की कुर्सियों पर बैठे. लेकिन गांधी परिवार का एक और सदस्य पूरे दिन स्टेडियम में मौजूद रहा. अधिवेशन के पोस्टरों में सिर्फ राहुल थे तो सोनिया मेंटर की भूमिका में थीं, लेकिन एक-एक पल को चुपचाप पर्दे के पीछे से देखता रहा. जी हां, हम बात कर रहे हैं सोनिया की बेटी और राहुल की छोटी बहन प्रियंका गांधी की.
तैयारियों का लिया जायजा
पिछले दो दिनों से कार्यक्रम की तैयारियों और इंतजामात का प्रियंका मुआयना करती रहीं. फिलहाल सक्रिय राजनीति से दूर प्रियंका गांधी इस बात का खास ख्याल रखती रहीं कि वे कहीं दिखें नहीं, पर्दे के पीछे ही रहें और किसी तरह कार्यक्रम का फोकस ना बदले.
इसलिए कार्यकर्ताओं के आने से पहले सुबह 8 बजे ही प्रियंका स्टेडियम पहुंच गईं और बंद कमरे में बैठकर पूरी कार्यवाही देखती रहीं. सोनिया-राहुल का पूरा फोकस कार्यक्रम पर था, तो वहीं प्रियंका की नज़र इस पर थी कि सब कुछ तयशुदा तरीके से सुचारू रूप से चलता रहे. वह अपने कुछ करीबियों से ग्राउंड रिपोर्ट भी लेती रहीं. हालांकि बीच में एक बार कुछ देर के लिए वह निकलीं, लेकिन फिर कुछ देर बाद वापस आ गईं.
बात साफ है कि भले ही प्रियंका राजनीति में अभी सक्रिय नहीं हों, लेकिन पर्दे के पीछे से वह अपनी विशेष भूमिका निभाने को तैयार रहती हैं.