मानव संसाधन मंत्रालय की एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि हैदराबाद यूनिवर्सिटी के रोहित वेमुला की मां ने आरक्षण का फ़ायदा उठाने के लिए दलित होने का दावा किया था और रिपोर्ट में रोहित को छात्रावास से निकाला जाना सही बताया गया है.
अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' के मुताबिक केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा बनाई गई एक सदस्यीय न्यायिक आयोग की जांच रिपोर्ट के अनुसार हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचसीयू) के पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला अपनी आत्महत्या के लिए खुद जिम्मेदार थे. बताया गया है कि रोहित ने छात्रावास से निकाले जाने की वजह से आत्महत्या नहीं की थी बल्कि इसका कारण व्यक्तिगत था.
इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एके रूपनवाल ने अपनी 41 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि रोहित वेमुला को हॉस्टल से निकाला जाना यूनिवर्सिटी का 'सबसे तार्किक' फैसला था. जांच रिपोर्ट के अनुसार 26 वर्षीय रोहित ने भेदभाव किए जाने के चलते नहीं बल्कि निजी हताशा के कारण आत्महत्या की थी.
17 जनवरी 2016 को रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी जिसके बाद छात्रों और कुछ राजनीतिक दलों ने घटना का विरोध किया था. 28 जनवरी 2016 को मानव संसाधन मंत्रालय ने मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया था. रोहित की आत्महत्या के बाद हैदराबाद विश्वविद्यालय समेत पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुए थे.
पूर्व न्यायाधीश एके रूपनवाल की रिपोर्ट के मुताबिक रोहित की मां ने आरक्षण का फायदा लेने के लिए खुद को दलित बताया था. जांच समिति के हवाले से ये भी कहा गया है कि इस मामले में केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय और स्मृति ईरानी का कोई दबाव नहीं था. रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी और केंद्रीय मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने केवल अपना दायित्व निभाया और हैदराबाद यूनिवर्सिटी प्रशासन पर कोई दबाव नहीं डाला गया था. रूपनवाल ने अपनी जांच रिपोर्ट अगस्त में जमा कर दी थी.