श्रीलंका के मसले पर नाराज डीएमके ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेकर बड़ी सियासी हलचल पैदा कर दी है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने श्रीलंका में तमिलों पर हुए 'घोर अत्याचार' की निंदा करते हुए श्रीलंका में हुए मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए स्वतंत्र व प्रामाणिक जांच की मांग कर डाली.
'श्रीलंकाई तमिलों के साथ हमारी संवेदनाएं'
संसद भवन में कांग्रेस सांसदों की एक बैठक में सोनिया ने कहा, 'श्रीलंकाई तमिलों की दुर्दशा से हमारी संवेदनाएं गहरे तक जुड़ी हुई हैं.' सोनिया ने कहा, 'श्रीलंका में निर्दोष नागरिकों पर किए गए अवर्णनीय अत्याचार, विशेष तौर पर 2009 के गृह युद्ध के अंतिम दिनों में, की रपटों से हम बेहद दुखी हैं.'
सोनिया ने आगे कहा, 'इसीलिए हम श्रीलंका में मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध स्वतंत्र एवं विश्वसनीय जांच की मांग करते हैं.' उन्होंने कहा, 'उनके उचित राजनीतिक अधिकारों की लगातार अवहेलना के रवैये से भी हम दुखी हैं.'
श्रीलंकाई नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों की गिरफ्तारी पर सोनिया ने कहा कि यह बहुत गंभीर विषय है. सोनिया ने कहा, 'आए दिन मछुआरों के खिलाफ होने वाली हिंसा का स्थायी हल निकाले जाने की जरूरत है.'
डीएमके ने तोड़ा यूपीए से नाता
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) ने मंगलवार को श्रीलंका मुद्दे पर केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार से नाता तोड़ लिया. लेकिन केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि इससे सरकार की स्थिरता को कोई खतरा नहीं है.
आज तक के हल्ला बोल कार्यक्रम में आज चर्चा का विषय है ‘सरकार का लंका कांड’.
आप DMK की सरकार से समर्थन वापसी पर दें अपनी प्रतिक्रिया जिसे हम शाम 6 बजे कार्यक्रम के दौरान प्रसारित करेंगे.
डीएमके अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने यूपीए से अलग होने की घोषणा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी श्रीलंका को बचाने की केंद्र सरकार की कोशिश को स्वीकार नहीं करेगी, जिस पर तमिल समुदाय के लोगों के अधिकारों के उल्लंघन का आरोप है.
'सरकार में बने रहना श्रीलंकाई तमिलों से अन्याय'
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, 'इस सरकार में बने रहना श्रीलंकाई तमिलों के साथ अन्याय होगा.' डीएमके के लोकसभा में 18 सांसद हैं. केंद्रीय मंत्रिपरिषद में डीएमके के पांच मंत्री थे. करुणानिधि ने आरोप लगाया कि यूपीए ने न केवल श्रीलंका के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचसीआरसी) में लाए गए अमेरिकी प्रस्ताव को लेकर डीएमके के दृष्टिकोण पर विचार करने से मना कर दिया, बल्कि इस पर पूरी तरह पानी फेर दिया. उन्होंने संप्रग को बाहर से समर्थन देने से भी इनकार किया.
डीएमके मुख्यालय में जश्न
यूपीए से अलग होने की डीएमके की घोषणा के बाद पार्टी मुख्यालय में खुशी मनाई गई. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने आतिशबाजी कर अपनी खुशी का इजहार किया. उन्होंने करुणानिधि की प्रशंसा करते हुए नारेबाजी भी की.
क्या है पूरा मामला
अमेरिका ने श्रीलंका के खिलाफ जो प्रस्ताव लाया है, उसमें उसकी आलोचना की गई है. लेकिन तमिलनाडु की दो प्रमुख पार्टियां- डीएमके तथा ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके)- चाहती हैं कि भारत सरकार प्रस्ताव में संशोधन की पेशकश करे, जिसमें श्रीलंका पर तमिल विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान तमिलों के 'नरसंहार' का आरोप लगाया जाए.
करुणानिधि का रुख बेहद कठोर
डीएमके नेता ने कहा, 'यदि श्रीलंका पर 'नरसंहार' का आरोप लगाने वाला विधेयक भारतीय संसद में पेश किया जाता है तो हम अपना रुख बदलने के लिए तैयार हैं.'
'यूपीए सरकार को कोई खतरा नहीं'
यूपीए से समर्थन वापसी की डीएमके की घोषणा के बाद शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई. उधर, नई दिल्ली में केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने कहा कि केंद्र सरकार की स्थिरता पर कोई खतरा नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'सरकार स्थिर है और लोकसभा में इसे बहुमत हासिल है.'
यूपीए से डीएमके के अलग होने के बाद कांग्रेस कोर समूह की आपात बैठक हुई, जिसमें पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित अन्य नेता मौजूद थे.
बैठक के बाद चिदम्बरम ने करुणानिधि को मनाने की कोशिश करते हुए कहा कि कांग्रेस उनके विचारों का सम्मान करती है. वह वरिष्ठ नेता हैं और हर तरह के सम्मान के हकदार हैं.