दोपहर के तीन बज चुके हैं. मंच पर से परदा उठता है. सामने एक 'इंसान' बैठा दिखाई देता है. वो शर्ट-पैंट और कोर्ट पहने हुए है. पैर में जूते भी हैं. चेयर पर चुपचाप बैठा यह शख्स दर्शक-दीर्घा की तरफ घूरता है. इसकी पलकें भी झंपकती हैं. कभी-कभी हल्की मुस्कान भी बिखेर देता है.
तभी मंच पर एक और इंसान की एंट्री होती है. ये हैं एलबोर्ग यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर हेनरिक शार्फ. प्रोफेसर हेनरिक बताते हैं कि आपके सामने मंच पर बैठा यह 'इंसान' दरअसल 'रोबोट' है. इतना सुनते ही दर्शक दीर्घा में बैठे लोग चौंक जाते हैं. लंच के बाद हल्की झंपकियां ले रहे लोगों की तो जैसे नींद ही उड़ जाती है. लोग मंच की तरफ नजरें गड़ाए अमेरिका में बने भविष्य के इस रोबोट को तो देख ही रहे हैं, प्रोफेसर की बातें भी ध्यान से सुन रहे हैं.
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के छठे सेशन में अजीब-सा रोमांच दिखा. इस सेशन में प्रोफेसर हेनरिक ने 'ह्यूमनॉयड रोबोट' (Humanoid Robot) पेश किया. प्रोफेसर ने कहा कि आज के ज्यादातर रोबोट सीमित तौर पर घूम-फिर सकते हैं, लेकिन आने वाले दिनों में ऐसे रोबोट आएंगे, जो ज्यादा 'एक्टिव' होंगे.
इंसानों का ज्यादातर काम कर देंगे भविष्य के रोबोट
हेनरिक कहते हैं कि भविष्य के रोबोट के पास ज्यादा नेटवर्किंग क्षमता होगी. निश्चित तौर पर ये ज्यादा इंटेलिजेंट होंगे, अपनी पंसद के साथ ज्यादा सूचनाएं साझा कर सकेंगे. इनमें जीवित उत्तक (टिश्यूज) होंगे, ताकि ये खुद फैसले ले सकेंगे. यानी इनके पास अपना दिमाग भी होगा.
इतना बताने के बाद प्रोफेसर लोगों के सामने कुछ सवाल भी रखते हैं. क्या भविष्य के इन रोबोट को सोशल सिक्योरिटी नंबर की जरूरत होनी चाहिए? क्या रोबोट को पासपोर्ट इश्यू किए जाने चाहिए? जवाब भी प्रोफेसर ही देते हैं. कहते हैं, इन मशीनों को हमें प्रेरित ही करने दीजिए, ताकि हम और क्रिएटिव सोच सकें, क्योंकि हमारे पर कुदरत का जो सबसे अनमोल तोहफा है, वो है इंसान...