राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राकेश सिन्हा, सोनल मानसिंह, रघुनाथ महापात्र और राम शकल सिंह को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है. संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करते हुए और प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति ने इन चार लोगों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है.
जानिए राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत चारों सदस्यों के बारे में-
राकेश सिन्हा
53 साल के राकेश सिन्हा संघ के विचारक हैं और मीडिया तथा सोशल मीडिया मंचों पर प्रखरता के साथ बीजेपी और संघ का पक्ष रखने के लिए जाने जाते हैं. राकेश सिन्हा दिल्ली स्थित विचार समूह ‘इंडिया पालिसी फाउंडेशन के संस्थापक और मानद निदेशक हैं. वे दिल्ली विश्वविद्यालय में मोतीलाल नेहरू कॉलेज में प्रोफेसर और भारतीय सामाजिक विज्ञान शोध संस्थान के सदस्य हैं. वे नियमित रूप से समाचारपत्रों में आलेख लिखते हैं.
राकेश सिन्हा ने संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार की जीवनी लिखी है जिसे भारत सरकार के प्रकाशन विभाग ने प्रकाशित किया है. उनकी 'राजनीतिक पत्रकारिता' नमक पुस्तक काफी लोकप्रिय हुई है. राकेश सिन्हा ने कोटा यूनिवर्सिटी से 2011 में पीएचडी की. यह दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में गोल्ड मेडलिस्ट हैं.
RSS विचारक राकेश सिन्हा समेत ये चार चेहरे जाएंगे राज्यसभा, राष्ट्रपति ने किया मनोनीत
राम शकल सिंह
उत्तर प्रदेश के राम शकल सिंह ने दलित समुदाय के कल्याण एवं बेहतरी के लिए काम किया है. एक किसान नेता के रूप में उन्होंने किसानों, श्रमिकों के कल्याण के लिए काम किया, वे तीन बार सांसद रहे और उत्तर प्रदेश के राबर्ट्सगंज का प्रतिनिधित्व किया था. राम शकल सिंह की उम्र 55 साल है. इन्होंने गोरखपुर यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है.
रघुनाथ महापात्रा
रघुनाथ महापात्रा का पारंपरिक स्थापत्य और धरोहरों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. उन्होंने जगन्नाथ मंदिर, पुरी के सौदर्यीकरण कार्य में हिस्सा लिया. उनके प्रसिद्ध कार्यों में 6 फुट लंबे भगवान सूर्य की संसद के सेंट्रल हाल में स्थित प्रतिमा और पेरिस में बुद्ध मंदिर में लकड़ी से बने बुद्ध हैं. जाने-माने मूर्तिकार महापात्रा पद्मश्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित हैं. रघुनाथ महापात्रा 75 साल के हैं और इनकी मूर्तिकारी का डंका भारत ही नहीं, विदेशों में भी बजता है.
सोनल मानसिंह
प्रख्यात भरतनाट्यम और ओडिसी नृत्यांगना डॉ. सोनल मानसिंह बड़ी दिलचस्प कहानी है. 18 साल की उम्र में परिवारवालों को कह दिया कि मुझे सिर्फ नृत्य करना है तो घरवाले नाराज हो गए. उनकी नाराजगी को नजरअंदाज कर इस कलाकार ने 1963 में अपना घर छोड़ दिया और अपने गुरु के पास चली गईं. बाद में उस कलाकार ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर जबरदस्त शोहरत कमाई. जीवन में तरह तरह की चुनौतियां आईं लेकिन उन्होंने हमेशा जीत हासिल की. मौजूदा सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के लिए नवरत्न चुने तो उसमें इन्हें भी जगह दी गई.
सोनल मानसिंह का जन्म 30 अप्रैल 1944 को मुंबई में हुआ. चार साल की उम्र में मणिपुरी नृत्य, नागपुर के एक शिक्षक से अपनी बड़ी बहन के साथ सीखना शुरू कर दिया, फिर सात साल की उम्र में उन्होंने पांडानल्लुर स्कूल के विभिन्न गुरुओं से भरतनाट्यम सीखना शुरू किया. सोनल मानसिंह भारत सरकार ने 1992 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था. सोनल मानसिंह मशहूर नृत्यांगना हैं और पद्म विभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हैं.