scorecardresearch
 

जानिए सितार वादक पंडित रविशंकर को

पंडित रविशंकर का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 7, अप्रैल 1920 को हुआ था. वीटल्स के जॉर्ज हैरीसन ने उन्हें 'विश्व संगीत का गॉडफादर' बताया. पंडित शंकर का युवावस्था भाई उदय शंकर के नृत्य समूह के साथ यूरोप व भारत का दौरा करते हुए बीता.

Advertisement
X

मशहूर सितारवादक पंडित रविशंकर नहीं रहे. अमेरिका के सेन डियागो के एक अस्पताल में 92 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका में भारत की राजदूत निरुपमा राव ने उनके निधन पर शोक जताया है. पंडित रविशंकर को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद पिछले गुरुवार को ला जोल्ला के स्किप्स मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने स्थानीय समयानुसार मंगलवार को शाम 4.30 बजे अंतिम सांस ली.

Advertisement

पंडित रविशंकर का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 7, अप्रैल 1920 को हुआ था. वीटल्स के जॉर्ज हैरीसन ने उन्हें 'विश्व संगीत का गॉडफादर' बताया. पंडित शंकर का युवावस्था भाई उदय शंकर के नृत्य समूह के साथ यूरोप व भारत का दौरा करते हुए बीता. उन्होंने वर्ष 1938 में संगीतज्ञ अलाउद्दीन खान से सितार बजाना सीखने के लिए नृत्य छोड़ दिया.


वर्ष 1944 में पढ़ाई पूरी करने के बाद पंडित रविशंकर ने संगीतकार के रूप में सत्यजीत रे के 'अपू ट्रिलॉजी' तथा रिचर्ड एटनबर्ग के 'गांधी' के लिए संगीत दिया. सर्वश्रेष्ठ मौलिक स्वरलिपि के लिए वर्ष 1983 में उन्हें जॉर्ज फेंटन के साथ ऑस्कर से नवाजा गया.

उन्होंने वर्ष 1949 से 1956 के बीच नई दिल्ली में ऑल इंडिया रेडियो के संगीत निदेशक के रूप में भी काम किया और इसके बाद 1960 के दशक में वायलिन वादक येहुदी मेनुहिन तथा जॉर्ज हैरीसन के साथ भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा तथा प्रस्तुति देकर इसे पश्चिम में लोकप्रिय बनाया.

Advertisement

वर्ष 1986 से 1992 तक वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य रहे. उन्हें वर्ष 1999 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. उन्हें तीन ग्रैमी अवार्ड मिल चुके हैं. उन्हें वर्ष 2013 के जर्मनी अवार्ड के लिए भी नामित किया गया था.

पंडित रविशंकर वर्ष 2000 तक लगातार प्रस्तुति देते रहे. उन्होंने कई बार अपनी बेटी अनुष्का शंकर के साथ भी प्रस्तुति दी.

Advertisement
Advertisement