गोवा में पिछले चार महीने से खनन पर लगे प्रतिबंध पर मुख्यमंत्री मनोहर पíरकर ने बुधवार को कहा कि इससे उपजे तनाव के कारण गोवा में आत्महत्या के मामलों में वृद्धि हो सकती है.
दूसरी तरफ उन्होंने खनन पर प्रतिबंध को नदियों के जलस्तर से जोड़ते हुए कहा कि गोवा में खनन कार्य रुकने से गोवा की नदियों के जलस्तर में कमी आ सकती है.
पíरकर ने कहा कि हमें मिली पुलिस रिकार्ड से पता चला है कि गोवा में आने वाले समय में आत्महत्या तथा हिंसा के मामलों में इजाफा हो सकता है. वहीं उनका कहना है कि खुली खदानों के गड्ढों में इकट्ठा वर्षा जल को खनन कंपनियां पंप करके बाहर निकालती हैं जिसके परिणामस्वरूप गोवा की नदियों का जलस्तर बढ़ जाता है.
संयोग से पíरकर की दलीलें एक खनन कंपनी द्वारा हाल ही में दिए गए बयान से मेल खाता हुआ दिख रहा है. गोवा की प्रमुख खनन कंपनियों में से एक अवधूत टिंब्लो ने हाल ही में कहा था कि आम धारणा के विपरीत खनन कंपनियां वास्तव में जल संरक्षण में सहायक होती हैं.
पíरकर ने कहा कि अब हम इसे अपने खर्च पर करेंगे. पíरकर ने आगे कहा कि आप इसे पसंद करें या नापसंद, लेकिन गोवा के 20 से 25 फीसदी लोगों की आजीविका खनन कार्यो से ही चलती है.
गोवा में पिछले चार महीने से खनन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. कार्यकर्ता-वकील प्रशांत भूषण द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल एक याचिका की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने गोवा में खनन पर प्रतिबंध लगा दिया. प्रशांत भूषण ने अपनी याचिका में गोवा में कर्नाटक की ही तरह खनन घोटाले की जांच एक केंद्रीय समिति से कराने की मांग की थी.