विधि आयोग को एक स्थायी संस्था का रूप देने के प्रस्ताव को फिलहाल सरकार ने ठंडे बस्ते में डाल दिया है और हर तीन साल पर पुनर्गठन की मौजूदा व्यवस्था को जारी रखने का फैसला किया है.
विधि मंत्रालय में कानूनी मामलों के विभाग ने हाल ही में विधि आयोग को संसदीय कानून या एक आधिकारिक आदेश (केंद्रीय मंत्रिमंडल प्रस्ताव) के जरिए एक स्थायी संस्था बनाने का प्रस्ताव दिया था. विधि आयोग जटिल कानूनी मुद्दों पर सरकार को सलाह देता है.
सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री कार्यालय को लगा कि मौजूदा प्रणाली लागू रहनी चाहिए. इसके बाद प्रस्ताव को टालने का यह कदम उठाया गया.
मौजूदा व्यवस्था के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल हर तीन साल पर आयोग का पुनर्गठन करता है. आयोग के पुनर्गठन के बाद आयोग चलाने के लिए एक नया अध्यक्ष और सदस्य नियुक्त किए जाते हैं.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले माह संस्था के पुनर्गठन को मंजूरी दी थी. मंत्रिमंडल की मंजूरी के साथ, कानून मंत्रालय अब 21वें विधि आयोग का गठन करेगा. 20वें आयोग का तीन वर्षीय कार्यकाल 31 अगस्त को समाप्त हो गया था.
कानून मंत्रालय आयोग के अध्यक्ष के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नामों के चयन की प्रक्रिया में है. इन नामों में कुछ नाम उच्च न्यायालय के उन मुख्य न्यायाधीशों के भी हो सकते हैं, जो हाल ही में सेवानिवृत्त हुए हैं.
आयोग की अध्यक्षता उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश करते हैं. पहले आयोग का गठन वर्ष 1955 में हुआ था.
-इनपुट भाषा