उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मंगलवार को कहा कि विविधता और असहमति के प्रति असहिष्णुता की उभरती प्रवृत्ति चिंता का कारण है. उन्होंने समानता, न्याय और सशक्तीकरण को लेकर सामाजिक तौर पर आम सहमति बनाने की वकालत की. अंसारी ने कहा कि मानवाधिकार के लिए सम्मान में विविधता की स्वीकार्यता भी शामिल है.
उन्होंने कहा, यह जरूरी है कि समानता, न्याय और अधिकारिता के प्रति सामाजिक आम सहमति रहे क्योंकि आज इस आम सहमति और विविधता और असहमति के प्रति असहिष्णुता की उभरती प्रवृत्ति चिंता का कारण है. अंसारी पुणे इंटरनेशनल सेंटर में सोशल इनोवेशन एंड सोशल हार्मनी विषय पर व्याख्यान दे रहे थे.
समाज के लिए यह जरूरी
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वास्तविक दैनिक व्यवहार में सहिष्णुता से स्वीकार्यता की ओर बढ़ना समाज को पूरी तरह समावेशी बनाने के लिए महत्वपूर्ण है. विविधता से भरे समाज में विभिन्न पहचान के लोगों के प्रति ग्रहणशील होने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि अन्यथा यह बहुलतावादी लोकतंत्र हो जाएगा.
अंसारी ने कहा, यही कारण है कि भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का प्रावधान है. सामाजिक नवाचार इसलिए सौहार्द, स्थिरता और समाज में व्याप्त सुरक्षा के स्तरों से जुड़ जाता है. समानता, सशक्तीकरण और न्याय लोकतांत्रिक समाज के बुनियादी मूल्य हैं.