सीबीआई की रिपोर्ट के खिलाफ श्रीनगर में लोग सड़क पर उतर आए और प्रदर्शन एवं आगजनी की घटना को अंजाम दिया. प्रदर्शनकारियों ने कई इलाकों में घरों को आग लगा दी और तोड़फोड़ भी की.
कश्मीर घाटी के चर्चित शोपियां मामले में सीबीआई ने पुलिस अधिकारियों को निर्दोष करार देते हुए दोनों युवतियों की मौत को महज एक हादसा करार दिया था. साथ ही जांच एजेंसी ने अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भी निर्दोष माना था.
ज्ञात हो कि 29 मई 2009 की रात शोपियां के रहने वाले शकील अहंगर की बीबी नीलोफर और उसकी बहन आसिया के शव रहस्यमय हालात में एक नाले में मिले थे. स्थानीय लोगों ने दोनों युवतियों से सामूहिक दुष्कर्म और उसके बाद हत्या की आशंका जताते हुए पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था. इसके बाद पूरी वादी में लोग सड़कों पर उतर आए थे. आंदोलन का संचालन करने के लिए शोपियां के लोगों ने हुर्रियत कांफ्रेंस के सहयोग से मजलिस-ए-मशावरत कमेटी गठित की थी.
बाद में राज्य सरकार ने जस्टिस मुजफ्फर जान की अध्यक्षता में एक जांच आयोग गठित किया और उसकी सिफारिशों पर शोपियां के तत्कालीन एसपी समेत चार पुलिस अधिकारियों को हिरासत में भी लिया गया. इसके बाद हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपा गया.
आखिरकार सीबीआई ने 14 दिसंबर को हाईकोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट दाखिल कर दी. रिपोर्ट में सीबीआई ने दोनों युवतियों की मौत को महज हादसा माना और उनके साथ दुष्कर्म की संभावना को नकारते हुए पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेसियों को निर्दोष ठहराया.