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पश्चिम बंगाल में आदिवासी समूहों का विरोध तेज

सुरक्षा बलों के माओवादियों के गढ़ पर अपनी स्थिति मजबूत बनाने के एक दिन बाद पश्चिमी मिदनापुर में आदिवासी समूहों ने विरोध-प्रदर्शन जारी रखने की प्रतिज्ञा की है.

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सुरक्षा बलों के रामगढ़ में माओवादियों के गढ़ पर फिर से कब्जा करने और अपनी स्थिति मजबूत बनाने के एक दिन बाद रविवार को पश्चिमी मिदनापुर में आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व कर रहे समूहों ने अपना प्रदर्शन जारी रखने की प्रतिज्ञा की है. दूसरी ओर सैकड़ों मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने रैली निकाली.

कथित अत्‍याचार के खिलाफ आंदोलन
अपनी रणनीति के बारे में पूछे जाने पर पीपुल्स कमेटी अगेंस्ट पुलिस एट्रोसिटी के नेता छत्रधर महतो ने बताया, ''मुझे लोगों ने पैदा किया है. मैं उनकी समस्याओं और पुलिस के अत्याचार के बारे में बात करता हूं. अब अगर लोग चाहते हैं कि हम विरोध करें, तो हम ऐसा ही करेंगे, लेकिन मैं आपको बता दूं कि मैं भागूंगा नहीं.''

सालबोनी और रामगढ़ में 2 शिविर
इस बीच सुरक्षा बलों ने सालबोनी और रामगढ़ में 2 शिविर स्थावित किये है, जबकि गोआल्टोर और रामगढ़ के स्कूल में इंडिया रिजर्व बटालियन ने भी शिविर स्थापित किये हैं. इसके अलावा रामगढ़ पुलिस स्टेशन में एक भी एक बंकर स्थापित किया गया, जिसे 14 जून को माओवादियों ने जला दिया था. बहरहाल सैंकड़ों मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मोटरसाइकिल पर सवार होकर और हाथों में लाल झंडा लेकर रामगढ़ और सलबोनी के बीच रैली निकाली. पश्चिम मिदनापुर में माओवादियों के सबसे बड़े गढ़ रामगढ़ पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद सुरक्षा बल उग्रवादियों को निकाल बाहर करने रविवार को निकटवर्ती गांवों में पहुंचे.

लोगों को दिया जा रहा आश्‍वासन
बहरहाल, बर्धमान के सहायक पुलिस अधीक्षक हुमायूं कबीर ने बताया, ''हम रामगढ़ के इर्दगिर्द के गांवों में जा रहे हैं, अपनी स्थिति सुदृढ़ कर रहे हैं और लोगों को आश्वस्त कर रहे हैं कि वे अब माओवादियों के भय से मुक्त हैं.'' उल्लेखनीय है कि माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई का पहला चरण 20 जून को शुरू किया था, जब केन्द्रीय अर्धसैनिक बल और पुलिस लालगढ़ पुलिस थाने में पहुंची और उसे अपनी कार्रवाइयों का आधार केन्द्र बनाया.

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