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गाय के नाम पर मॉब लिचिंग के खिलाफ जंतर-मंतर पर 'लहू बोल रहा है'

देश के अलग-अलग कोनों में भीड़ के नाम पर हो रही हिंसा के खिलाफ आवाजें उठने लगी है. देश की राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर पहले 'नॉट इन माई नेम' के नाम से अभियान चलाया गया, जिसके जरिये गाय के नाम पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर लोगों की हत्या के खिलाफ लोग इकट्ठा हुए. आज दिल्ली का जंतर-मंतर फिर उसी हिंसक भीड़ के खिलाफ उठ खड़ा हुआ.

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इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रक्तदात भी किया
इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने रक्तदात भी किया

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देश के अलग-अलग कोनों में भीड़ के नाम पर हो रही हिंसा के खिलाफ आवाजें उठने लगी है. देश की राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर पहले 'नॉट इन माई नेम' के नाम से अभियान चलाया गया, जिसके जरिये गाय के नाम पर भीड़ द्वारा पीट-पीट कर लोगों की हत्या के खिलाफ लोग इकट्ठा हुए. आज दिल्ली का जंतर-मंतर फिर उसी हिंसक भीड़ के खिलाफ उठ खड़ा हुआ.

गौरक्षा और मज़हब के नाम पर खून बहाए जाने के खिलाफ मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी द्वारा सोशल मीडिया के जरिये बुलाए गए प्रदर्शन में एक बार फिर लोग जंतर-मंतर पर इकट्ठा हुए, जहां उनकी ज़ुबान पर एक ही संदेश था 'लहू बोल रहा है' ...

जंतर मंतर पर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल आरिफ कहते हैं, प्रधानमंत्री जी से कहना चाहते हैं कि हम भी भारतवासी हैं. उनकी एक आवाज पर नोटबंदी हो सकती है, तो उनकी एक आवाज पर क्या गौरक्षक नहीं मान सकते?'

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ये प्रदर्शन अपने आप में अनूठा और अनोखा था. एक तरफ इमरान प्रतापगढ़ी के तीखे नज़्म कातिल भीड़ के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे, तो दूसरी ओर इस विरोध प्रदर्शन में शामिल युवा इसी जंतर-मंतर के एक कोने में रक्तदान कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि खून को नफरत के नाम पर क्यों बहाया जा रहा है, जबकि यह खून देश के किसान और जवान के काम आ सकता है.

इस रक्तदान का मकसद 'मज़हब के नाम पर बहते खून' को रोकना था. अपना खून देने वाले भी कहते हैं कि जब खून का रंग एक है, तो फिर ये कत्लेआम क्यों? ऐसे ही एक रक्तदाता शोएब कहते हैं, दलित, मुसलमान या फिर चाहे हिंदू भाई हों. एक भीड़ आती और मारके चली जाती है. ऐसी कितनी जानें चली गईं और सरकार कुछ नहीं बोली. सरकार की चुप्पी साफ-साफ कह रही है कि हम इस भीड़ के साथ हैं, हम अपनी जनता के साथ नहीं हैं.'

वहीं मोहम्मद तारीक कहते हैं, 'खून का एक ही रंग होता है, चाहे हिंदू का हो चाहे मुसलमान का हो. यह संदेश है उन लोगों के लिए जो बेवजह बेगुनाह लोगों का खून बहा रहे हैं. सरकार के लिए यह संदेश है ताकि इस तरह का जो काम हो रहे हैं वह ना हो.'

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मॉब लिंचिग के खिलाफ इस चलाए गए आंदोलन के निशाने पर सीधे-सीधे बीजेपी और केंद्र सरकार थी. इस प्रदर्शन में आम लोगों के अलावा राजनीतिक दलों के नुमाइंदे भी नज़र आए. एनसीपी नेता माजिद मेमन और आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह भी जंतर-मंतर पर दिखे. वहीं गुजरात के दलित एक्टिविस्ट जिग्नेश मेलानी और स्वामी अग्निवेश भी यहां मौजूद थे.

एकता का पैगाम देने है मकसद

जाहिर है नेता हैं तो राजनीति भी होगी. इन नेताओं से जब हमने पूछा कि कहीं हिंसक भीड़ के बहाने यह सरकार और बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने की राजनीतिक कोशिश तो नहीं है, तो माजिद मेमन कहते हैं, 'इसका मकसद राजनीतिक नहीं है. देश की जो परिस्थिति है उसे बताया गया है. हमारा मकसद है कि एकता का पैगाम देना है. इस रक्तदान कैंप के जरिये हम देश के उन लोगों को पैगाम देना चाहते हैं, जो इस खुशफहमी में है कि देश को हिंदू मुसलमान के नाम पर बांट दिया जाएगा. यहां जो खून इकट्ठा हो रहा है, ये खून अमरनाथ के घायल यात्रियों के लिए है. यह खून जंग में लड़ने वाले हमारे फौजियों के लिए है. हमें सरकार के बारे में कोई बात नहीं करनी. जो लोगों को बांट रहे हैं हम उनके खिलाफ बोल रहे हैं. अगर सरकार को यह बात चुभती है तो सरकार की दाढ़ी में तिनका है. जब यहां से खून की बोतल अस्पतालों में किसी पीड़ित को मिलेगी तो वहां देश को बांटने वाले आएं और सर्टिफाइड करें ये हिंदू का खून है यह मुसलमान का खून है. हम कहना चाहते हैं कि सबको साथ लेकर चलें. अमन के साथ चलें कोई किसी का दुश्मन नहीं है. हमारे दुश्मन सरहद के उस तरफ है. पाकिस्तान या चीन से लड़ने के लिए हमें एक होना होगा.'

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'पीएम मोदी भी हो प्रदर्शन में शरीक'

वहीं जंतर-मंतर पर मौजूद आप नेता संजय सिंह कहते हैं, 'इस देश में चंद गुंडे गाय के नाम पर किसी चौराहे पर इंसान की हत्या कर दें, उसके खिलाफ अपना खून दान करके एक अच्छा संदेश देने का प्रयास अगर कहीं हो रहा है, तो उसमें सबको शामिल होना चाहिए. मैं तो कह रहा हूं कि मोदी जी को भी यहां आना चाहिए, मोहन भागवत को भी आना चाहिए और उनकी भावनाओं को समझना चाहिए कि देश क्या चाहता है. योगी आदित्यनाथ को भी आकर यहां लहू दान करना चाहिए. जो इस देश को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, वे कभी सफल नहीं होंगे. ये 130 करोड़ हिंदुस्तानियों का देश है. मैं देश की सरकार से निवेदन करूंगा कि अब यह दंगे-फसाद को छोड़कर बहुत अच्छे ढंग से इस देश को चलाने की एकता के साथ चलाने की कोशिश करें.

इमरान प्रतापगढ़ी ने चुटीले शेर

वहीं पेशे और तबियत से शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने अपने अनूठे अंदाज में भीड़ द्वारा गाय और मज़हब के नाम पर हो रही हिंसा पर हमले किए. सुनिए क्या कहा मशहूर शायर इमरान प्रतापगढ़ी ने...

पूछता है तिलक से वज़ू चीखकर

आमने-सामने रूबरू चीखकर

गाय के नाम पर जो बहाया गया

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पूछता है हमारा लहू चीखकर

जब मेरा और तेरा एक ही रंग है

तो बताओ भला किस लिए जंग है

प्रतापगढ़ी कहते हैं, 'यह मॉब लिंचिंग की देशभर में जितनी भी घटनाएं हो रही हैं, दरअसल वो मॉब लिंचिंग नहीं, बल्कि मोबलाइज लिंचिंग है. उनके पीछे एक एजेंडा है. दुनिया में गाय की जितनी नस्ले हैं, वह दूध देती हैं. भारत में गाय की एक नस्ल है जो वोट देती है. उस भीड़ की वजह से, उस भीड़ के एजेंडे से वोट दूहने का काम किया जा रहा है.

खून देकर विरोध जताने के इस अनूठे प्रयोग पर इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा, 'हम सरकार और उस कातिल भीड़ से कहना चाहते हैं कि आप हमारा खून सड़क पर क्यों बहा रहे हैं? यह खून सेना के किसी जवान के काम आएगा. हिंदुस्तान के काम आएगा, भारत के किसान के काम आएगा. यह अनूठा प्रोटेस्ट है. दुनिया में आज तक खून देकर प्रोटेस्ट करने का कभी कोई उदाहरण नहीं सामने आया.'

इस दौरान शायर प्रतापगढ़ी ने अपने शेर से कुछ यूं सरकार को चेतावनी भी दे दी.

नफरत वाली भीड़ खड़ी है देश के सब चौराहों पर

आम आदमी मार दिया जाता है बस अफवाहों पर

दिल्ली कब तक चुप बैठे की मजलूमों की आंहों पर

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हम उन मजलूमों की आंहों को दिल्ली तक पहुंचाना चाहते हैं कि देखिए हम रो रहे हैं और हमारा लहू गम में डूबा हुआ है और यह लहू उबले, उससे पहले इस समस्या का समाधान करिए.

संसद से लेकर सड़क तक बीजेपी और केंद्र सरकार भीड़ द्वारा हो रहे हमलों को लेकर जनता और विपक्ष की तपिश झेल रही है. जंतर-मंतर ये एक कोशिश है कि खून देकर खून बहाना रोका जा सके.

 

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