भारतीय सीमा में अवैध घुसपैठ और उसके बाद पवित्र मानसरोवर यात्रा में खलल डालने से भारत और चीन के रिश्ते और तल्ख हो गए हैं. सीमा पर जो तनाव है उसका असर सड़कों पर भी देखने को मिल रहा है. चीन के खिलाफ गुस्सा उबल रहा है जो मंगलवार को देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर भी दिखा.
चीन के खिलाफ विरोध जताने के लिए दिल्ली में स्वदेशी जागरण मंच के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए चीनी दूतावास तक मार्च करने की कोशिश की. हालांकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को चीनी दूतावास पहुंचने से पहले ही हिरासत में ले लिया लेकिन प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेट कूद कर दूतावास तक जाने की कोशिश की.
प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि भारत में चीनी उत्पादों के इस्तेमाल पर रोक लगे और आम जनता चीनी उत्पादों का प्रयोग बंद करे. प्रदर्शनकारियों ने चीन के विरोध में पोस्टर और चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के पोस्टरों पर लाल निशान भी लगाया. चीन के खिलाफ प्रदर्शन मार्च करने आए स्वदेशी जागरण मंच के कार्यकर्ता विकास ने कहा कि जिस तरह चीन भारतीय सीमाओं का उल्लंघन करते हुए घुसपैठ कर रहा है भारत उसे बर्दाश्त नहीं करेगा.
चीन के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों में शामिल ऊषा ने कहा कि चीन ने मानसरोवर यात्रा में खलल डाल कर भारत की आस्था को ठेस पहुंचाई है और भारत इसके खिलाफ खड़ा होगा. प्रदर्शनकारियों का कहना था कि वह इस मार्च के जरिए चीन को चेतावनी देने आए हैं कि अगर चीन ने अपनी हरकतों से बाज नहीं आता तो भारत सरकार और जनता दोनों ही उसके खिलाफ मजबूती से खड़ी होगी.
आपको बता दें कि भारतीय सीमा में अवैध घुसपैठ और उसके बाद नक्शे में सिक्किम को अपना हिस्सा बताने पर चीन के साथ तनाव के हालात चरम पर हैं. चीन भारत को 1962 की लड़ाई की याद भी दिला चुका है साथ ही उसकी ओर से कहा गया कि वह 'अपनी जमीन' सुरक्षा के लिए हर मुमकिन कोशिश करेगा. रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भी चीन को चेतावनी देते हुए कहा था कि 1962 और आज का भारत अलग है.