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नागरिकता विधेयक पर नगालैंड में व‍िरोध, बंद से राज्य की सड़कें सुनसान

नगालैंड में नागरिकता संशोधन विधेयक  2016 को विरोध में बंद रहा ज‍िसकी वजह से राज्य की सभी सड़कों पर यातायात ठप रहा.

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नगालैंड में बंद से सुनसान सड़कें (Photo:IANS)
नगालैंड में बंद से सुनसान सड़कें (Photo:IANS)

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नगालैंड में नागरिकता संशोधन विधेयक  2016 को विरोध तेज होता जा रहा है. सोमवार को यहां द‍िनभर के बंद का आह्वान क‍िया ज‍िसे जनता का पूरा समर्थन म‍िला. बंद की वजह से राज्य की सभी सड़कों पर यातायात ठप हो गया. राज्य की सड़कें सूनी हो गईं.

नगालैंड में सोमवार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के खिलाफ दिनभर के बंद की वजह से सामान्य जनजीवन प्रभावित हुआ. राज्य में दुकानें, व्यावसायिक प्रतिष्ठान व शैक्षिक संस्थान बंद रहे और सभी 11 जिलों में सड़क यातायात ठप है.

नगालैंड राज्य की राजधानी कोहिमा व ब‍िजनेस स‍िटी दीमापुर की व्यस्त सड़कें खाली हैं. हालांकि, नगालैंड सरकार ने बंद पर फिर से विचार करने की अपील की. पुलिस के एक अधिकारी ने कहा बताया क‍ि राज्य के किसी भी हिस्से से किसी अवांछित घटना की कोई सूचना नहीं है. बंद से जन जीवन ठहर-सा गया है.

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जनजातीय होहोस (संघ) की समन्वय समिति, नागरिक समाज संगठनों, विभिन्न समितियों और जन संगठनों ने नगालैंड गांव बुरहास फेडरेशन (एनजीबीएफ) के तत्वाधान में कहा है कि बंद का आह्वान राज्यसभा में विधेयक के पारित होने लिए बनाई गई योजना के विरोध में किया गया है. विपक्षी नगा पीपुल्स फ्रंट ने बंद का समर्थन किया है.

नगालैंड के मुख्य सचिव व वित्त आयुक्त तेमजेन तॉय ने कहा कि राज्य सरकार आगामी बजट सत्र में विधेयक के विरोध में एक प्रस्ताव लाएगी. बजट सत्र 21 फरवरी को निर्धारित है. नगालैंड मंत्रिमंडल ने लोकसभा में आठ जनवरी को पारित विधेयक को खारिज कर दिया है.

विधेयक में क्या है

ये  विधेयक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी व ईसाइयों को जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से बिना वैध यात्रा दस्तावेजों के भारत आए हैं, या जिनके वैध दस्तावेजों की समय सीमा हाल के सालों में खत्म हो गई है, उन्हें भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है. यह विधेयक बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के 6 गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के लोगों को भारतीय नागरिकता हासिल करने में आ रही बाधाओं को दूर करने का प्रावधान करता है.

नगालैंड में क्यों हो रहा है विरोध?

जहां नागरिकता संशोधन विधेयक, 2016 गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता देने की बात करता है लेक‍िन NRC के मामले में ऐसा नहीं है. NRC के तहत 24, मार्च 1971 से भारत में अवैध रूप से रह रहे सभी धर्म के लोगों को चिंहित कर इन्हें वापस भेजने की बात है. इस लिहाज से यह नागरिकता संशोधन विधेयक 2016, NRC के सिद्धांत को उलट देता है, क्योंकि यह सभी गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने के उद्देश्य से लाया गया है. पूर्वोत्तर में एनडीए के सहयोगी इस विधेयक का विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे इसे अपनी सांस्कृतिक, सामाजिक और भाषाई पहचान के साथ खिलवाड़ समझते हैं. जिसके लिए ये दल निरंतर संघर्ष करते आए हैं.

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