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महाराष्ट्र से बाहर जाते ही राज्यपाल और CM से बड़ा हो जाता है सचिन और लता का प्रोटोकॉल

भारत रत्न से अलंकृत व्यक्तियों को भी विशेष प्रोटोकॉल की सुविधा मिलती है. राज्यों से बाहर के किसी कार्यक्रम में संबंधित राज्यपाल और मुख्यमंत्री का प्रोटोकॉल उनसे एक सीढ़ी कम हो जाता है, जबकि राज्य में रहने पर प्रोटोकॉल एक सीढ़ी ऊपर रहता है.

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भारत रत्न लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर.
भारत रत्न लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर.

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भारत रत्न सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर यदि किसी ऐसे समारोह का हिस्सा हैं, जिसमें दूसरे राज्य के मुख्यमंत्री शिरकत करने आ रहे हैं तो फिर दोनों हस्तियों का प्रोटोकॉल मुख्यमंत्री से भी बड़ा होगा. अगर यह प्रोग्राम राज्यपाल और मुख्यमंत्री के संबंधित राज्य में ही हो रहा हो तो इस स्थिति में ही सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर का प्रोटोकॉल उनसे कम होगा.

दरअसल, सचिन या लता मंगेशकर ही नहीं, भारत रत्न से अलंकृत सभी व्यक्तियों को भी विशेष प्रोटोकॉल की सुविधा मिलती है. राज्यों से बाहर के किसी कार्यक्रम में संबंधित राज्यपाल और मुख्यमंत्री का प्रोटोकॉल उनसे एक सीढ़ी कम हो जाता है, जबकि राज्य में रहने पर प्रोटोकॉल एक सीढ़ी ऊपर रहता है. इस प्रकार देखें तो महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के अपने राज्य से बाहर निकलते ही उनका प्रोटोकॉल सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर के प्रोटोकॉल से कमजोर हो जाता है.

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दरअसल, राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से माननीयों और अन्य संवैधानिक पदों पर बैठे गणमान्य व्यक्तियों के लिए एक वरीयता क्रम निर्धारित किया गया है. जिसे टेबल ऑफ प्रेसिडेंस कहते हैं. इसमें किसी समारोह के लिए पदों का प्रोटोकॉल तय किया गया है. देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न पाने वाली हस्तियों को भी विशेष प्रोटोकॉल की सुविधा है. ऐसी हस्तियों को प्रोटोकॉल के वरीयता क्रम की 7-A श्रेणी में रखा गया है.

जबकि उनसे ऊपर राष्ट्रपति(1), उपराष्ट्रपति(2), प्रधानमंत्री(3), राज्यपाल(4), पूर्व राष्ट्रपति(5), उपप्रधानमंत्री(6), सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा अध्यक्ष(6) नंबर पर हैं, वहीं केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री (अपने राज्य में), नीति आयोग के डेप्युटी चेयरमैन, पूर्व प्रधानमंत्री और लोकसभा तथा राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष का प्रोटोकॉल सातवें नंबर पर भारत रत्न से ऊपर होता है.

इनसे ऊपर होते हैं भारत रत्न

राज्यपाल और मुख्यमंत्री का प्रोटोकॉल उनके राज्य में अधिक मजबूत होता है, जबकि दूसरे राज्य में जाने पर कमजोर हो जाता है. टेबल को देखने पर पता चलता है कि अगर मुख्यमंत्री अपने राज्य में है तो उसका प्रोटोकॉल सातवें नंबर पर होता है, वहीं जब वह राज्य से बाहर होते हैं तो उनका प्रोटोकॉल आठवें नंबर पर होता है. इसी तरह से अगर राज्यपाल अपने राज्य के किसी समारोह में हैं तो उनका प्रोटोकॉल राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के ठीक बाद चौथे नंबर पर होता है, मगर राज्य से बाहर होने पर उनका भी प्रोटोकॉल आठवे नंबर पर पहुंच जाता है.

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इस प्रकार यह प्रोटोकॉल भारत रत्न प्राप्त हस्तियों से (7A) से कम होकर आठवें नंबर पर पहुंच जाता है. सुप्रीम कोर्ट के जजों का प्रोटोकॉल भी भारत रत्न वालों से कम आठवें नंबर पर होता है. इसी तरह संघ लोकसेवा आयोग के चेयरमैन, मुख्य चुनाव आयुक्त, सीएजी, राज्यसभा और लोकसभा के डेप्युटी चेयरमैन, उपमुख्यमंत्री, नीति आयोग के सदस्य, केंद्रो के राज्य मंत्री, राज्यों के कैबिनेट मंत्री, सांसदों का प्रोटोकॉल भी भारत रत्न अलंकृत व्यक्तियों से कमजोर होता है. राष्ट्रपति सचिवालय की ओर से जारी टेबल ऑफ प्रेसिडेंस में कहा गया है कि यह वरीयता सिर्फ समारोहों के लिए ही तय की गई है.

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