बलात्कार पर सख्त कानून की मांग अभी थमी नहीं है. सरकार की ओर से मिलने वाले जुबानी आश्वासन पर प्रदर्शनकारियों को भरोसा नहीं. इस मसले पर प्रधानमंत्री ने भी अपनी चुप्पी तोड़ी है. उन्होंने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ ताकत के इस्तेमाल को गलत बताया और जल्द ही उनकी मांग मान लिए जाने का भी भरोसा दिलाया.
चलती बस में हुए गैंग रेप के बाद उठे आंदोलन को शांत करने की कोशिशें सोनिया गांधी से लेकर शीला दीक्षित तक ने की, लेकिन कामयाब नहीं हुए. अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने प्रदर्शनकारियों को मनाने का मोर्चा संभाला है. पहले आंदोलनकारियों की मांग को जायज ठहराते हुए सहानुभूति जतायी फिर शांति बरतने की अपील की.
प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर प्रदर्शनकारियों से कहा मौजूदा हालात बेहद अफसोसनाक है, लोगों का गुस्सा भी जायज़ है. लेकिन फिर भी मैं तमाम लोगों से अपील करता हूं कि वो शांति बनाए रखें. हमलोग पीड़ित की सेहत पर लगातार नजर बानाए हैं. हमें भगवान से उसकी सलामती की हुआ मांगनी चाहिए. पुलिस और छात्रों के बीच हुई झड़प भी बेहद अफसोसनाक है.
रिटायर्ड जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में बनाई कमेटी
जनता के आक्रोष को देख सरकार के कामकाज में भी तेजी आ गयी है. फैसले चुटकियों में होने लगे हैं. देश के गृहमंत्री ने यौन उत्पीड़न के मामलों से जुड़े कानूनों की समीक्षा के लिए एक कमेटी बनाने का ऐलान किया है. इस कमेटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस जेएस वर्मा होंगे. रिटायर्ड जस्टिस वर्मा के अलावा कमेटी में दो और सदस्य होंगे. ये कमेटी एक महीने में अपने सुझाव देगी कि मौजूदा कानून में किस तरह के बदलाव की दरकार है. केंद्र सरकार ने कमेटी के लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है.
बीजेपी ने की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग
हांलाकि बीजेपी की ओर से लोक सभा में नता विपक्ष सुषमा स्वराज ने पुलिस कार्रवाई पर वार किया. उन्होंने ट्वीट किया है कि अन्यायी मारे भी और रोने भी न दे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि पहले तो सरकार महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर सकती और और उनकी असफलता पर आवाज़ उठने वालों के खिलाफ ही ताकत का इस्तेमाल किया जाता है. सुषमा ने ये भी कहा कि उन्होंने गृह मंत्री से इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर इस मसले का जल्द से जल्द हल निकालने को कहा है.सरकार बेचैन है, चाहती है जल्द से जल्द विरोध खत्म हो. य़ही वजह है कि बलात्कार के मामले में कुछ अहम फैसले बड़ी तेजी से लिए जाने का भोरासा दिलाया गया है. लेकिन अब भी बड़ा सवाल यही है कि बिना व्यवस्था दुरस्त किए क्या पीड़ितों को इंसाफ मिल पाएगा.