पाकिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी मसूद अजहर की शह पर पुलवामा में ऐसा आतंकवादी हमला हुआ है, जिसने पूरे देश को दहला दिया है. इस आतंकी हमले के बाद जैश को नेस्तनाबूद करने की आवाज तो उठ रही है, लेकिन ये सवाल भी उठ रहा है कि खुफिया एजेंसियों के अलर्ट को किसने दरकिनार किया. पुलवामा हमले से पूरा देश स्तब्ध है, दुखी है और आक्रोशित भी. गुरुवार को हुए इस आतंकी हमले में अब तक 37 सीआरपीएफ जवान शहीद हो चुके हैं.
गृह मंत्री राजनाथ सिंह शुक्रवार को कश्मीर जा रहे हैं. एनएसए अजित डोभाल ने इमरजेंसी बैठक बुला ली है. गृह सचिव को भूटना से तुरंत वापस बुलाया गया, लेकिन सवाल है कि ऐसी जघन्य घटनाओं से पहले जरूरी कदम क्यों नहीं उठाए जाते. खुफिया जानकारी के मुताबिक इस तरह के हमला का अंदेशा खुफिया एजेंसियों को पहले से था. आजतक को मिली जानकारी के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियों ने आठ फरवरी को ये अलर्ट जारी किया था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी आईईडी हमला करा सकते हैं.
सूत्रों के मुताबिक, अलर्ट में कहा गया था कि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी सुरक्षा बलों के डिप्लॉयमेन्ट और उनके आने जाने के रास्ते पर IED से हमला कर सकते हैं. तो क्या हमारी चूक से इतना बड़ा आतंकवादी हमला हो गया और हमें अपने अनमोल जवानों की शहादत देनी पड़ी.
इस इनपुट के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने सुरक्षाबलों के साथ एक मीटिंग भी की थी. मीटिंग में कहा गया था कि आतंकी सुरक्षाबलों के काफिले को निशाना बना सकते हैं. इस हमले को सीरिया और अफगानिस्तान में होने वाले आतंकी हमलों की तरह अंजाम दिया जा सकता है. ऐसे में सुरक्षा बलों को अपना काफिला रात में लेकर जाना चाहिए. बावजूद इसके बर्फबारी के कारण सात दिन से बंद हाइवे के खुलते ही दिन में सीआरपीएफ जवानों को श्रीनगर ले जाने के लिए काफिला रवाना हो गया. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर सीआरपीएफ ने खुफिया रिपोर्ट को क्यों इग्नोर किया.
इस मामले में सीआरपीएफ के पूर्व आईजी आरके सिंह ने कहा कि जब आतंकी हमले का अलर्ट था, तब जवानों को जम्मू से हेलीकॉप्टर के जरिए श्रीनगर क्यों नहीं भेजा गया. अगर उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए श्रीनगर भेजा जाता तो इतना बड़ा हमला नहीं हो सकता है. सरकार को सुरक्षाबलों के लिए ऐसी सुविधाएं देनी होगी, ताकि हमारे जवान ऐसे हमले का शिकार न हो.