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पुलवामा हमले के बाद गिरी अलगाववादियों पर गाज, मीरवाइज समेत चार की सुरक्षा हटी

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस फैसले के बाद आज शाम तक इन्हें दी गई सारी सुरक्षा, सारी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. इस निर्णय के बाद अब किसी भी अलगाववादी नेता को सरकारी खर्चे पर किसी तरह की सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जाएगी.

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अलगाववादी नेता शब्बीर शाह और मीरवाइज उमर फारूक (फोटो- रॉयटर्स)
अलगाववादी नेता शब्बीर शाह और मीरवाइज उमर फारूक (फोटो- रॉयटर्स)

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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों पर आतंकी हमले के बाद सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने हुर्रियत और अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक, अब्दुल गनी बट्ट, बिलाल लोन, शब्बीर शाह की सरकारी सुरक्षा वापस ले ली है. इसके अलावा इन्हें मिल रही सारी सरकारी सुविधाएं छीन ली गई है. मीरवाइज उमर फारूक ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का चेयरमैन है.

हालांकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस आदेश में पाकिस्तान परस्त और अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का नाम नहीं है. प्रशासन के इस फैसले के बाद आज शाम तक पाकिस्तान और आतंक परस्त इन नेताओं को दी गई सारी सुरक्षा, सारी सरकारी सुविधाएं वापस ले ली जाएंगी. सरकार के इस निर्णय के बाद अब किसी भी अलगाववादी नेता को किसी भी वजह से सरकारी खर्चे पर किसी तरह की सुरक्षा या सुविधा मुहैया नहीं कराई जाएगी.

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रिपोर्ट के मुताबिक हुर्रियत के इन अलगाववादी नेताओं को राज्य सरकार ने लगभग 10 साल पहले सुरक्षा मुहैया कराई थी, जब ये नेता घाटी में कथित तौर पर आतंकियों के निशाने पर आए थे.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के इस आदेश के बाद इन्हें राज्य सरकार की ओर से मिली गाड़ियां, कारें वापस ले ली जाएंगी. सरकारी सूत्रों ने कहा कि पुलिस इस बात की समीक्षा करेगी कि क्या इन चार अलगाववादी नेताओं के अलावा किसी दूसरे अलगाववादी नेता को सरकारी सुरक्षा मिली है, अगर समीक्षा में ऐसे किसी भी नेता का नाम आता है तो उसकी भी सुरक्षा और सरकारी सुविधा वापस ली जाएगी.

बता दें कि पुलवामा में 40 जवानों की शहादत के बाद पूरे देश में इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस लेने की मांग उठी थी. भारत सरकार इन अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने 15 फरवरी को ही कहा था कि इन नेताओं की सुरक्षा वापस ली जाएगी. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में कुछ तत्वों का आईएसआई और आतंकी संगठनों से नाता है, इनकी सुरक्षा की समीक्षा होनी चाहिए. आज इस फैसले पर अमल करते हुए सरकार ने इनसे सभी सुरक्षा वापस ले ली है.

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14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे. पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले की जानकारी ली थी. जैश ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि आतंकी आदिल डार ने इस हमले को अंजाम दिया था. जैश का सरगना मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती में अपने कुकृत्यों को अंजाम देता है.

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