देश में बीते साल 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर अब तक के सबसे बड़े आत्मघाती हमले को अंजाम दिया था, जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे.
इस घटना को अब एक साल होने जा रहा है. ऐसे में आज तक इस मौके पर शहीदों के परिजनों तक पहुंचा और उनका हालचाल जाना. सीआरपीएफ पर हुए इस हमले में महाराष्ट्र के बुलढाना में रहने वाले संजय राजपूत और नितिन राठौर भी शहीद हुए थे
आज तक जब उनके घर पहुंचा तो संजय राजपूत के परिजनों ने सीआरपीएफ और सरकार की तरफ से दी गई मदद पर संतोष जताया. हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि कई मंत्रियों ने जो वादे किए थे वो अब तक पूरे नहीं हुए.
संजय राजपूत के परिवार ने बताया कि सरकारी मदद और मुआवजा मिलने से उनके परिवार की आर्थिक दिक्कतें तो दूर हो गई लेकिन उन्हें अपने बेटे की कमी आज भी खलती है.
ये भी पढ़ें: पुलवामा हमले का एक साल, क्या है बिहार के लाल के घर का हाल
संजय राजपूत के पिता ने कहा कि आज भी जब वो सुबह उठकर अपने शहीद बेटे की तस्वीर देखते हैं उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं और उन्हें लगता है कि एक दिन संजय उनकी नजरों के सामने आकर खड़ा हो जाएगा.
आर्थिक सहायता को लेकर संजय राजपूत के परिजनों ने बताया कि उन्हें महाराष्ट्र सरकार की तरफ से 50 लाख रुपये मिले जबकि सीआरपीएफ की तरफ से भी मुआवजा दिया गया.
शहीद जवान संजय राजपूत की पत्नी ने कहा कि CRPF, महाराष्ट्र सरकार और NGO की तरफ से हमें मदद मिली है. रिलायंस फाउंडेशन ने शिक्षा की जो जिम्मेदारी ली है वह पूरी हो रही है. हालांकि उन्होंने कहा की उस वक्त एक मंत्री ने जमीन देने का जो वादा किया था वो पूरा नहीं हुआ.
शहीद के परिजनों ने पुलवामा हमले की जांच में हो रही देरी पर दुख जताया और कहा कि सरकार ने जांच के मामले में हमें कोई भी रिपोर्ट या जानकारी नहीं दी है.
बुलढाना के ही एक और सीआरपीएफ जवान हमले में शहीद हुए थे जिनका नाम नितिन शिवाजी राठौर है. नितिन के भाई प्रवीण ने आजतक को बताया कि उनके परिवार को भाई के जाने के बाद डेढ़ से दो करोड़ रुपये की मदद मिली है जिसमें 60 लाख का मुआवजा सरकार की तरफ से मिला है जबकि बाकी पैसे एनजीओ और सीआरपीएफ की तरफ से दिए गए हैं.
ये भी पढ़ें: पुलवामा हमले का एक साल, खुद के पैसों से लगा रहे शहीद की मूर्ति, सरकारी वादे निकले खोखले
शहीद नितिन शिवाजी राठौर के बच्चों की पढ़ाई को लेकर प्रवीण ने बताया कि इसका पूरा खर्च वादे के मुताबिक रिलायंस फाउंडेशन की तरफ से उठाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहीद नितिन राठौर की पत्नी और बच्चे जालान में रहने लगे हैं और बच्चे वहीं सेंट मेरी इंग्लिश स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.